Shahi Anguthi शाही अंगूठी
Shahi Anguthi | Akbar Birbal Stories in Hindi : बादशाह अकबर की वेश बदलकर अपने राज्य में अकैले ही घूमने की आदत थी। वह समझते थे कि इस प्रकार वह जान सकते हैं कि उनके राज्य में कौन, जरूरतमंद है ताकि वह उसकी सहायता कर सकें। परंतु बीरबल को उनकी यह आदत पसंद नहीं थी, क्योंकि उसे भय था कि कहीं कभी कोई उन पर आक्रमण न कर दे और कोई क्षति न पहुँचा दे। उन्होंने बादशाह को ऐसा करने से कई बार रोका भी पर वह माने नहीं। यह उनका शौक और दिनचर्या का एक भाग बन चुका था। हमेशा की तरह एक अँधेरी रात में जब अकबर एक बूढ़े व्यक्ति के वेश में राज्य में घूमने जा रहे थे, तो बीरबल ने कहा “महाराज, मुझे आपकी यह आदत पसंद नहीं। आप अपने असली रूप में तो है नहीं, एक साधारण मनुष्य समझकर कोई भी व्यक्ति आपको नुकसान पहुँचा सकता है और यदि किसी को यह पता चल जाए कि आप बादशाह हैं और बिना सुरक्षा के अकेले ही घूम रहे हैं, तो कोई भी आप पर आक्रमण कर सकता है।” बादशाह अकबर ने बीरबल की बातों को हँसकर टाल दिया और महल से बाहर चले गए। जब वह एक सुनसान सड़क पर पहुँचे, तो उन्हें लगा कि शायद कोई उनका पीछा कर रहा है।
उन्होंने पीछे मुड़कर देखा, तो उन्हें एक आदमी आता दिखाई दिया। परंतु वह आदमी ऐसा दिखाई दे रहा था जैसे कि वह कहीं और देख रहा हो। बूढ़े के वेश में भ्रमण कर रहे बादशाह ने पूछा “तुम कौन हो?” “श्रीमान्, मैं एक घुमक्कड़ व्यक्ति हूँ।” आदमी ने जवाब दिया। “अगर तुम घुमक्कड़ व्यक्ति हो और इतनी रात गए भी घूमते फिर रहे हो, तो अपनी जीविका के लिए क्या करते हो?” “बस, मैं तो एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमता रहता हूँ।” “तुम कहाँ रहते हो?” बादशाह ने पूछा। “कहीं भी!” तुरंत जवाब मिला। बादशाह अकबर इन बेवकूफी भरे जवाबों से चिढ़कर बोले “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस तरह से बोलने की? क्या तुम जानते हो कि मैं कौन हूँ? मैं हिन्दुस्तान का बादशाह हूँ। यदि तुम्हें विश्वास न हो तो यह देखो।” ऐसा कहते हुये बादशाह ने जिसे केवल एक बादशाह ही पहन सकता था। “लाओ देखें तो”, ऐसा कहकर आदमी बादशाह के हाथ से अँगूठी लेकर भाग गया। बादशाह डरकर जोर-जोर से चिल्लाने लगे, ‘अरे चोर-चोर रोकी, पकडो-पकड़ो” वह भाग रहा है।” तभी वहाँ भीड़ इकट्ठी हो गई। सभी उस चोर का पीछा करने लगे। शीघ्र ही सभी ने उसे पकड लिया। तब व्यक्ति ने शाही अँगूठी निकाल कर कहा “अरे भाईयों, मैं चोर नहीं हूँ। तुमने इस मूर्ख की बातों पर विश्वास करने की नादानी कैसे की? मैं हिन्दुस्तान का बादशाह अकबर हूँ। यदि तुम्हें कोई शक है, तो मेरी यह शाही अँगूठी देखो।” सभी ने सोचा कि शाही औगूठी तो केवल बादशाह के पास ही होती है।
सभी ने उसको झुककर सलाम किया। जब बादशाह अकबर ने यह सब देखा, तो वह घबरा गए और महल की ओर सोचते हुए चल पड़े। “केवल बीरबल ही जानता है कि बदले वेश में मैं एक बादशाह हूँ। मुझे उस चोर से अपनी अँगूठी वापस लेने के लिए बीरबल की सहायता लेनी चाहिए।” जब बादशाह अकबर अपने कक्ष में पहुँचे, तो उन्हें अपने पलंग पर एक थैला दिखाई दिया। उन्होंने उसे खोला। शाही अँगूठी उसके अंदर थी। उसके साथ एक पत्र भी था। बादशाह अकबर औगूठी वापस पाकर बहुत खुश हुए। उन्होंने उत्सुकता से पत्र खोला और पढ़ने लगे। पत्र में लिखा था ‘महाराज, मैने पहले ही आपकी चेतावनी दी थी कि वेश बदलकर बिना किसी सुरक्षा के इस प्रकार राज्य में घूमना खतरनाक है। आज आप अपनी शाही औगूठी से अधिक बहुत कुछ खो सकते थे।” पत्र के अंत में किसी का नाम न था। परंतु बादशाह अकबर सब कुछ समझ गए। वह अपने आप में सोचने लगे “इसका अर्थ यह है कि वह व्यक्ति बदले वेश में बीरबल ही था। उसने यह सब मुझे मेरी गलती का एहसास कराने के लिए किया था। अब मैं समझ गया कि बीरबल किस बात से डरता है। आज उसने मुझे बहुत महत्वपूर्ण नसीहत दी है। इस प्रकार से घूमना खतरे से खाली नहीं है। जीवन भी सुरक्षित नहीं है। आज के बाद मैं इस प्रकार कभी अकेला घूमने नहीं जाऊँगा। हमेशा बदली वेशभूषा में मेरे संरक्षक मेरे साथ रहेंगे।”
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