Sabse sundar | Akbar Birbal Stories in Hindi
Sabse sundar | Akbar Birbal Stories in Hindi : बादशाह अकबर के दरबार में लगभग सभी दरबारीगण बीरबल की उसके उपयुक्त पद से हटाने के लिए विभिन्न प्रकार की चालें चलते रहते थे। एक दिन एक दरबारी हुसैन खाँ, जो कि बादशाह की पत्नी का भाई (बादशाह का साला) था, के पास गया और बोला “हुसैन जी, आप तो रानी के भाई अर्थात् बादशाह के साले हैं। बादशाह का साला होने के कारण बीरबल के पद पर तो आपका अधिकार होना चाहिए।” “यह असंभव है। मैं तो उस विषय में कुछ नहीं जानता।” हुसैन खाँ ने असहाय होकर जवाब दिया। “क्यों असंभव है? तुम्हें सिर्फ एक बार अपनी बहन से कहना होगा। अगर वह बादशाह से इस संबंध में जरा भी निवेदन कर देंगी तो आपका काम बनने में कोई रूकावट नहीं आएगी। बादशाह रानी के निवेदन को कभी नहीं ठुकरा सकते।” इस बात से सहमत होकर हुसैन खाँ अपनी बहन के पास पहुँचा और उनसे अपने विषय में कहा। शाम की जब बादशाह रानी से मिलने उसके महल में आए तो रानी को कुछ उखडा–उखडा देखकर बोले “बेगम, तुम्हें अवश्य किसी बात का कष्ट है। कहो, क्या बात है?” रानी ने कहा, ‘मैं चाहती हूँ कि बीरबल को दिया गया पद मेरे भाई हुसैन को मिले। ”
बादशाह ने कहा “मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ बेगम ? हुसैन खाँ एक मूर्ख और हठी व्यक्ति है। हमें दरबार के कार्यों के लिए बीरबल की बुद्धिमत्ता की आवश्यकता है और फिर मेरे पास बीरबल को पद से हटाने का कोई कारण भी नहीं है।” रानी ने कहा “मेरे पास एक योजना है। आप कल शाम अपने साथ शाही बगीचे में भ्रमण के लिए मुझे बुलवाने हेतु बीरबल को भेजना। मैं आने से मना कर दूँगी। मुझे न बुला पाने के कारण आप उसे गुस्से में पद से हटा देना।’ बादशाह रानी की योजना से सहमत ही गए। अगली शाम उन्होंने बीरबल की अपने पास बुलवाया बेगम साहिबा मुझसे थोडा नाराज हैं। इसलिए मेरे साथ भ्रमण करने के लिए वह नहीं आई। क्या तुम उन्हें मेरे साथ भ्रमण के लिए तैयार कर सकते हो? उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करना। यदि तुम उन्हें यहाँ न ला सके तो मैं तुम्हें पद से हटा दूँगा और वह पद मैं अपने साले हुसैन खाँ को दे दूँगा।” बीरबल समझ गया कि यह उसको पद से हटाने की चाल है। एक योजना बनाकर वह रानी के कक्ष में पहुँचा और बोला “महारानी, बादशाह अकबर चाहते हैं कि आप ” ” बीरबल की बात पूरी भी नहीं हो पाई थी कि भागता हुआ एक सेवक आया और बीरबल के कान में कुछ कहने लगा। रानी पूरी बात न सुन सकी।
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उसने केवल इतना सुना कि ‘सबसे सुन्दर .” तब बीरबल रानी की तरफ घूमा और बोला “महारानी जी, क्षमा चाहता हूँ, अब मेरी जरूरत नहीं है।” ऐसा कहकर वह वहाँ से चला गया। रानी घबरा गई। उसने सोचा “सेवक ने अवश्य ही किसी ‘सबसे सुदर’ के विषय में कुछ कहा है, और बीरबल ने पूर्व-निर्धारित कार्यक्रम को रोक दिया है। या अल्लाह! कहीं बादशाह किसी सुंदर स्त्री के साथ तो नहीं हैं? ऐसा हो भी सकता है, शायद इसी कारण बीरबल ने कहा था कि ‘अब मेरी जरूरत नहीं है’।” ईष्र्या में जलती हुई रानी तेजी से शाही बगीचे में जा पहुँची। वहाँ उसने बादशाह को अकेले प्रतीक्षा करते पाया। रानी को वहाँ देखकर बादशाह ने पूछा “बेगम तुमने तो बीरबल की बातों पर ध्यान देने के लिए मना किया था। इसलिए मुझे तो यह उम्मीद ही नहीं थी कि तुम यहाँ आओगी। अब तुम शर्त हार गई हो। वैसे मुझे यह तो बताओ कि ऐसा क्या कारण बन गया था जिसके लिए तुम्हें बगीचे में आने के लिए हर हालत में मजबूर होना पड़ा। तुम्हें ध्यान है न कि तुमने कहा था कि बीरबल के बुलाने पर तुम यहाँ नहीं आओगी। फिर अब क्या सोचकर आ गई। तुमने तो अपने ही हाथों अपनी हार बुला ली।” रानी कुछ जवाब नहीं दे पाई। चतुर बीरबल ने अपनी योजना से अपने पद की रक्षा कर ली।
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