Poem in Hindi on Mother

Poem in Hindi on Mother : माँ तेरी याद आती है तेरा प्यारा सा चेहरा हमेशा आँखों के आगे तिरता हैं. तेरी वो सुंदर सी मुस्कान मुझे हमेशा ख़ुशी का एहसास दे कर जाती हैं. कितनी प्यारी हैं तू और कितनी प्यारी तेरी बाते हमेशा दिमाग में जब भी आती हैं तेरी यादे साथ ले आती हैं. क्यूँ इतना दूर हूँ तुझसे क्यूँ तेरे मैं पास नहीं, तू तो जान हैं मेरी, क्या मैं तेरे लिए इतना भी ख़ास नहीं. जब जब तेरी याद हैं आती, आँखों से आंसू हैं बहते एक एक आंसू तेरे गोदी पर सर रखने के लिए हैं रोते. ऐसे ही कुछ सुंदर पंक्तियों को मिला कर हम आपके लिए माँ की कविताओं का संग्रह लाए हैं. इन्हें पढ़ कर इनका आनंद उठाइये 🙂

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माँ और भगवान (Poem in Hindi on Mother)

मैं अपने छोटे मुख कैसे करूँ तेरा गुणगान
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान

माता कौशल्या के घर में जन्म राम ने पाया
ठुमक-ठुमक आँगन में चलकर सबका हृदय जुड़ाया
पुत्र प्रेम में थे निमग्न कौशल्या माँ के प्राण
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान

दे मातृत्व देवकी को यसुदा की गोद सुहाई
ले लकुटी वन-वन भटके गोचारण कियो कन्हाई
सारे ब्रजमंडल में गूँजी थी वंशी की तान
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान

तेरी समता में तू ही है मिले न उपमा कोई
तू न कभी निज सुत से रूठी मृदुता अमित समोई
लाड़-प्यार से सदा सिखाया तूने सच्चा ज्ञान
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान

कभी न विचलित हुई रही सेवा में भूखी प्यासी
समझ पुत्र को रुग्ण मनौती मानी रही उपासी
प्रेमामृत नित पिला पिलाकर किया सतत कल्याण
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान

‘विकल’ न होने दिया पुत्र को कभी न हिम्मत हारी
सदय अदालत है सुत हित में सुख-दुख में महतारी
काँटों पर चलकर भी तूने दिया अभय का दान
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान

 

‘माँ तेरी याद आती है’ (Poem in Hindi on Mother)

मेरी माँ है ममता की मूरत,
मेरी माँ है ममता की मूरत,
इस भीड़ भरी दुनिया में एक अलग सी सूरत,
एक अलग सी सूरत |

माँ तुम हो मेरी हर जरुरत की जरुरत,
जिसे मैं आज भी नहीं भूल पाती हूँ,
नहीं भूल पाती हूँ |

मैं तो थी अकेली, असहाय और नन्ही सी बच्ची,
जिसे मिली इस दुनिया में एक माँ तुम जैसी सच्ची,
एक माँ तुम जैसी सच्ची |

माँ आज भी तेरी याद आती है, बहुत याद आती है |

माँ वो तुम्ही थी जिसने मुझे ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया,
माँ वो तुम्ही थी जिसने मुझे हर मुसीबत से बचाया |

आज मै खुद एक माँ हूँ, और मेरे दो बच्चे है,
फिर भी मुझे माँ सिर्फ तेरी ममता याद आती है,
सिर्फ तेरी ममता याद आती है |

माँ तू मुझे बहुत याद आती है,
बहुत याद आती है |

मैं तो थी बिलकुल नादान, और जब सबकुछ नहीं था इतना आसान,
माँ तब भी तुमने दिखाई इतनी हिम्मत,
माँ तब भी तुमने दिखाई इतनी हिम्मत,
की आज भी पूरी होती है मेरी हर मेहनत,
मेरी हर मेहनत |

माँ तू ही मेरे लिए दुर्गा है, तू ही मेरे लिए गोविंदा,
माँ तू कभी नहीं मरेगी, क्योंकि तू आज भी मेरे में जिन्दा है,
तू आज भी मेरे में जिन्दा है |

 

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हज़ारों दुखड़े सहती (Poem in Hindi on Mother)

हज़ारों दुखड़े सहती है माँ
फिर भी कुछ ना कहती है माँ

हमारा बेटा फले औ’ फूले
यही तो मंतर पढ़ती है माँ

हमारे कपड़े कलम औ’ कॉपी
बड़े जतन से रखती है माँ

बना रहे घर बँटे न आँगन
इसी से सबकी सहती है माँ

रहे सलामत चिराग घर का
यही दुआ बस करती है माँ

बढ़े उदासी मन में जब जब
बहुत याद में रहती है माँ

नज़र का कांटा कहते हैं सब
जिगर का टुकड़ा कहती है माँ

मनोज मेरे हृदय में हरदम
ईश्वर जैसी रहती है माँ

 

 

 

ममता की मूरत (Poem in Hindi on Mother)

क्या सीरत क्या सूरत थी
माँ ममता की मूरत थी

पाँव छुए और काम बने
अम्मा एक महूरत थी

बस्ती भर के दुख सुख में
एक अहम ज़रूरत थी

सच कहते हैं माँ हमको
तेरी बहुत ज़रूरत थी

 

 

माँ अगर तुम न होती तो……. (Poem in Hindi on Mother)

माँ अगर तुम न होती तो मुझे समझाता कौन…

काँटो भरी इस मुश्किल राह पर चलना सिखाता कौन…

माँ अगर तुम न होती तो…

माँ अगर तुम न होती तो मुझे लोरी सुनाता कौन…

खुद जागकर सारी रात चैन की नींद सुलाता कौन…

माँ अगर तुम न होती तो…

माँ अगर तुम न होती तो मुझे चलना सिखलाता कौन…

ठोकर लगने पर रस्ते पर हाथ पकड़ कर संभालता कौन…

माँ अगर तुम न होती तो…

माँ अगर तुम न होती तो मुझे बोलना सिखाता कौन…

बचपन के अ, आ, ई, पढ़ना-लिखना सिखाता कौन…

माँ अगर तुम न होती तो…

माँ अगर तुम न होती तो मुझे हँसना सिखाता कौन…

गलती करने पर पापा की डाँट से बचाता कौन…

माँ अगर तुम न होती तो…

माँ अगर तुम न होती तो मुझे परिवार का प्यार दिलाता कौन…

सब रिश्ते और नातों से मेरी मुलाकात कराता कौन….

माँ अगर तुम न होती तो…

माँ अगर तुम न होती तो मुझे गलती करने से रोकता कौन…

सही क्या हैं, गलत क्या हैं इसका फर्क बताता कौन…

माँ अगर तुम न होती तो…

माँ अगर तुम न होती तो मुझे ‘प्यारी लाड़ो’ कहता कौन…

‘मेरी राज-दुलारी प्यारी बिटिया’ कहकर गले लगाता कौन…

माँ अगर तुम न होती तो…

माँ अगर तुम न होती तो मुझे समाज मैं रहना सीखाता कौन…

तुम्हारे बिना ओ मेरी माँ मेरा अस्तित्व स्वीकारता कौन…

माँ अगर तुम न होती तो…

माँ अगर तुम न होती तो मेरा हौसला बढ़ाता कौन…

नारी की तीनों शक्ति से मुझे परिचित कराता कौन…

माँ अगर तुम न होती तो…

 

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माँ मैं फिर (Poem in Hindi on Mother)

माँ मैं फिर जीना चाहता हूँ, तुम्हारा प्यारा बच्चा बनकर
माँ मैं फिर सोना चाहता हूँ, तुम्हारी लोरी सुनकर
माँ मैं फिर दुनिया की तपिश का सामना करना चाहता हूँ, तुम्हारे आँचल की छाया पाकर
माँ मैं फिर अपनी सारी चिंताएँ भूल जाना चाहता हूँ, तुम्हारी गोद में सिर रखकर
माँ मैं फिर अपनी भूख मिटाना चाहता हूँ, तुम्हारे हाथों की बनी सूखी रोटी खाकर
माँ मैं फिर चलना चाहता हूँ, तुम्हारी ऊँगली पकड़ कर
माँ मैं फिर जगना चाहता हूँ, तुम्हारे कदमों की आहट पाकर
माँ मैं फिर निर्भीक होना चाहता हूँ, तुम्हारा साथ पाकर
माँ मैं फिर सुखी होना चाहता हूँ, तुम्हारी दुआएँ पाकर
माँ मैं फिर अपनी गलतियाँ सुधारना चाहता हूँ, तुम्हारी चपत पाकर
माँ मैं फिर संवरना चाहता हूँ, तुम्हारा स्नेह पाकर
क्योंकि माँ मैंने तुम्हारे बिना खुद को अधूरा पाया है. मैंने तुम्हारी कमी महसूस की है .

 

वो सुकून (Poem in Hindi on Mother)

वो सुकून
जो मिलता है
माँ की गोदि मे
सर रख कर सोने मे

वो अश्रु
जो बहते है
माँ के सीने से
चिपक कर रोने मे

वो भाव
जो बह जाते है अपने ही आप

वो शान्ति
जब होता है ममता से मिलाप

वो सुख
जो हर लेता है
सारी पीडा और उलझन

वो आनन्द
जिसमे स्वच्छ
हो जाता है मन

 

 

माँ के लिए  (Poem in Hindi on Mother)

साल के बाद
आया है यह दिन
करने लगे हैं सब याद
पल छिन
तुम ना भूली एक भी चोट या खुशी
ना तुमने भुलाया
मेरा कोई जन्म दिन
और मैं
जो तुम्हारी परछाई हूँ
वक्त की चाल-
रोज़गार की ढाल
सब बना लिए मैंने औज़ार
पर माँ!
नासमझ जान कर
माफ़ करना
करती हूँ तुमको प्यार
मैं हर पल
खामोशी तनहाई में
अर्पण किए
मैंने अपनी श्रद्धा के फूल तुमको
जानती हूँ
मिले हैं वो तुमको
क्योंकि
देखी है मैंने तुम्हारी निगाह
प्यार गौरव से भरी मुझ पर
जब भी मैं तुम्हारे बताए
उसूलों पर चलती हूँ चुपचाप
माँ!
मुझमें इतनी शक्ति भर देना
गौरव से सर उठा रहे तुम्हारा
कर जाऊँ ऐसा कुछ जीवन में
बन जाऊँ
हर माँ की आँख का सितारा
आज मदर्स डे के दिन
“अर्चना” कर रही हूँ मैं तुम्हारी
श्रद्धा, गौरव और विश्वास के चंद फूल लिए

 

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नि:शब्द है (Poem in Hindi on Mother)

वो सुकून
जो मिलता है
माँ की गोदि मे
सर रख कर सोने मे

वो अश्रु
जो बहते है
माँ के सीने से
चिपक कर रोने मे

वो भाव
जो बह जाते है अपने ही आप

वो शान्ति
जब होता है ममता से मिलाप

वो सुख
जो हर लेता है
सारी पीडा और उलझन

वो आनन्द
जिसमे स्वच्छ
हो जाता है मन

 

 

अम्मा (Poem in Hindi on Mother)

चिंतन दर्शन जीवन सर्जन
रूह नज़र पर छाई अम्मा
सारे घर का शोर शराबा
सूनापन तनहाई अम्मा

उसने खुद़ को खोकर मुझमें
एक नया आकार लिया है,
धरती अंबर आग हवा जल
जैसी ही सच्चाई अम्मा

सारे रिश्ते- जेठ दुपहरी
गर्म हवा आतिश अंगारे
झरना दरिया झील समंदर
भीनी-सी पुरवाई अम्मा

घर में झीने रिश्ते मैंने
लाखों बार उधड़ते देखे
चुपके चुपके कर देती थी
जाने कब तुरपाई अम्मा

बाबू जी गुज़रे, आपस में-
सब चीज़ें तक़सीम हुई तब-
मैं घर में सबसे छोटा था
मेरे हिस्से आई अम्मा

 

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माँ (Poem in Hindi on Mother)

रास्तो की दूरियाँ
फिर भी तुम हरदम पास

जब भी
मै कभी हुई उदास

न जाने कैसे?
समझे तुमने मेरे जजबात

करवाया
हर पल अपना अहसास

और
याद हर वो बात दिलाई

जब
मुझे दी थी घर से विदाई

तेरा
हर शब्द गूँजता है
कानो मे सन्गीत बनकर

जब हुई
जरा सी भी दुविधा
दिया साथ तुमने मीत बनकर

दुनिया
तो बहुत देखी
पर तुम जैसा कोई न देखा

तुम
माँ हो मेरी
कितनी अच्छी मेरी भाग्य-रेखा

पर
तरस गई हूँ

तेरी
उँगलिओ के स्पर्श को
जो चलती थी मेरे बालो मे

तेरा
वो चुम्बन
जो अकसर करती थी
तुम मेरे गालो पे

वो
स्वादिष्ट पकवान
जिसका स्वाद
नही पहचाना मैने इतने सालो मे

वो मीठी सी झिडकी
वो प्यारी सी लोरी
वो रूठना – मनाना
और कभी – कभी
तेरा सजा सुनाना
वो चेहरे पे झूठा गुस्सा
वो दूध का गिलास
जो लेकर आती तुम मेरे पास

मैने पिया कभी आँखे बन्द कर
कभी गिराया तेरी आँखे चुराकर

आज कोई नही पूछता ऐसे
???
तुम मुझे कभी प्यार से
कभी डाँट कर खिलाती थी जैसे

 

माँ तुम गंगाजल होती हो (Poem in Hindi on Mother)

मेरी ही यादों में खोई
अक्सर तुम पागल होती हो
माँ तुम गंगा-जल होती हो!

जीवन भर दुःख के पहाड़ पर
तुम पीती आँसू के सागर
फिर भी महकाती फूलों-सा
मन का सूना संवत्सर

जब-जब हम लय गति से भटकें
तब-तब तुम मादल होती हो।

व्रत, उत्सव, मेले की गणना
कभी न तुम भूला करती हो
सम्बन्धों की डोर पकड कर
आजीवन झूला करती हो

तुम कार्तिक की धुली चाँदनी से
ज्यादा निर्मल होती हो।

पल-पल जगती-सी आँखों में
मेरी ख़ातिर स्वप्न सजाती
अपनी उमर हमें देने को
मंदिर में घंटियाँ बजाती

जब-जब ये आँखें धुंधलाती
तब-तब तुम काजल होती हो।

हम तो नहीं भगीरथ जैसे
कैसे सिर से कर्ज उतारें
तुम तो ख़ुद ही गंगाजल हो
तुमको हम किस जल से तारें

तुझ पर फूल चढ़ाएँ कैसे
तुम तो स्वयं कमल होती हो।

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Hind Patrika

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