Paraye Ghar Ki Beti | पराये घर की बेटी (बेटी जब घर को आती हैं | बेहतरीन कहानी)
Paraye Ghar Ki Beti | पराये घर की बेटी (बेटी जब घर को आती हैं | बेहतरीन कहानी) : पूजा बहुत खुश थी। शादी के बाद, यह पहली बार था जब वह अपने घर जा रही थी जहां वह पैदा हुई थी और पली-बड़ी थी।
वह अपने फ्लैट तक पहुंची और घर की तरफ चलने लगी। उस छोटे से रास्ते पर चलने के दौरान उसकी कई सारी खट्टी-मीठी यादें ताज़ा हुईं। उसके दिमाग से बहुत सारे ख्याल चल रहे थे। अचानक, जब वह दरवाजे पर पहुंची तो अब उसकी ख्यालो की ट्रेन अपने लास्ट प्लेटफार्म पर आ चुकी थी। तब उसने अपना हाथ धीरे से उठा कर घर की बेल की तरफ बढाया, एक बार बेल बजाई और कुछ देर ऐसे ही शांत खड़ी रही।
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उसका पति रोहित, जो उसके ठीक बगल में खड़ा था ने देखा। उसने पूजा का हाथ अपने हाथ में पकड़ा, पूजा ने चौंकते हुवे रोहित को देखा। उसने अपने और उसके हाथ दरवाज़े की तरफ बढाए और दरवाज़े की बेल बजाने लगा, अब पूजा भी लगातार बेल बजा रही थी और दोनों हंस रहे थे.
फिर थोड़ी देर रुक कर, पूजा ने रोहित को हलकी सी मुस्कराहट दी। रोहित ने भी उसकी मुस्कुराहाट का जवाब अपनी मुस्कराहट से दिया।
कुछ ही सेकंडस के भीतर, पूजा की माँ ने दरवाजा खोला। उसने पूजा को गले से लगा लिया और उन दोनों का स्वागत किया।
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Paraye Ghar Ki Beti | पराये घर की बेटी (बेटी जब घर को आती हैं | बेहतरीन कहानी) : बाद में, जब हर कोई हॉल में बैठा था, पूजा की माँ ने उन्हें बताया कि, “पूजा, मैं और तुम्हारे पापा तब ही समझ गए थे की तुम ही दरवाज़े पर हो जब तुमने एक ही बार बेल बजाई थी, लेकिन हम आपकी वो ही आदत को सुनना चाहते थे। बेटा, आप समझ ही सकते हो ना, हमने आपके दरवाज़े पर बेल को बार बार बजाने जाने को कितनी बुरी तरह से याद किया होगा!”
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पूजा बहुत खुश थी क्योंकि उसके पति ने उससे शादी करने से पहले ही, उसकी ज़िन्दगी से इस तरह की छोटी-छोटी खुशियों का जानना शुरू कर दिया था जिससे पूजा को ख़ुशी मिलती थी। वो उसके साथ बचकानी हरकते भी करता था जो चीज़ पूजा को बहुत हँसाती थी।
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