द्रोणाचार्य का चक्रव्यूह : आखिर एक दिन खीझ कर द्रोणाचार्य ने दुर्योधन को विश्वास दिलाया, “आज कुरुक्षेत्र में जैसा रण होगा वैसा फिर कभी न
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जीवन का अवसान : द्रोणाचार्य के प्रलयंकारी युद्ध कौशल को देखकर श्रीकृष्ण ने पांडवों को समझाया कि द्रोणाचार्य के | जीवन का अंत उनसे प्रत्यक्ष
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हिंदी साहित्य में हरिवंशराय बच्चन जी का योगदान काफी अतुल्य एवं सराहनीय रहा है। इनका जन्म २७ नवंबर सन् १९०७ में प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश में
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महात्मा गांधी का परिवार : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। गुजरात में यह प्रथा है कि पुत्र के । नाम
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गांधी जी का बचपन : मोहनदास गांधी का बचपन पोरबंदर में ही बीता। सात वर्ष की उम्र में उन्हें राजकोट की एक पाठशाला में भरती
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पुस्तक और नाटक का प्रभाव : बचपन में मोहनदास को पढ़ने-लिखने में कोई विशेष रुचि नहीं थी। परंतु एक बार उन्हें कहीं से ‘श्रवण पितृ-भक्ति’

मोहनदास गांधी का विवाह : मोहनदास गांधी अभी मैट्रिक में आए भी नहीं थे कि बारह-तेरह वर्ष की उम्र में ही उनका विवाह कस्तूरबा से
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Alaska इतना बड़ा है कि उसमें अमेरिका के 19 राज्य समा सकते हैं | | Alaska के Talkeetna शहर में एक बिल्ली 15 सालों तक
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मोहनदास गांधी की पिटाई : मोहनदास गांधी खेल-कूद में बिलकुल भाग नहीं लेते थे। उनका कहना था कि शिक्षा का खेलसे कोई संबंध नहीं है।

पिता का देहावसान : उन दिनों मैट्रिक की परीक्षा का निकटतम केंद्र अहमदाबाद था। गांधी जी राजकोट से मैट्रिक की परीक्षा देने अहमदाबाद गए थे।
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बचपन की बुरी संगत : गांधी जी के बड़े भाई का एक दोस्त बुरी संगत में उठता-बैठता था। वह बीड़ी-सिगरेट और मांसमदिरा का सेवन भी

अपराध की स्वीकारोक्ति : धीरे-धीरे मोहनदास को सिगरेट पीने और मांस खाने का चस्का लग गया। घर में वे झूठ बोलने लगे और कभी-कभी पत्नी
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गांधी जी विलायत की ओर : गांधी जी विलायत जाकर डॉक्टर बनना चाहते थे। परंतु जब गांधी जी के पिता के मित्र श्री भाव जी
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इंग्लैंड के नए माहौल में : चौबीस दिन की यात्रा के बाद 28 सितंबर, 1888 को गांधी जी इंग्लैंड की धरती पर उतरे। सबसे पहले
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अंग्रेजीयत सीखने की धुन : इंग्लैंड में लोग उन्हें जंगली या असभ्य न समझें, इसके लिए उनके मन में अंग्रेजी सभ्यता और शिष्टाचार सीखने की