विष्णु द्वारा नारद का मोह भंग करना विष्णु द्वारा नारद का मोह भंग करना : नारद मुनि ब्रह्मा के मानस पुत्र थे। एक बार उन्हें
राजा शीलनिधि की कन्या का माया-स्वयंवर राजा शीलनिधि की कन्या का माया-स्वयंवर : नारदजी श्री विष्णु से विदाई लेकर वहां से चले तो मार्ग में
विष्णु द्वारा नारद को वानर का चेहरा देना विष्णु द्वारा नारद को वानर का चेहरा देना : नारदजी तत्काल बैकुण्ठ लोक जा पहुंचे और श्रीहरि
विष्णु को नारद का शाप विष्णु को नारद का शाप : क्रोधित नारद ने अपने इष्ट श्रीहरि को शाप दे दिया, “हे हरि! तुमने मेरे
विष्णु भक्त दंभ की तपस्या और शंखचूड़ का जन्म विष्णु भक्त दंभ की तपस्या और शंखचूड़ का जन्म : महर्षि कश्यप की एक पत्नी का
संयुक्त राष्ट्र महासभा में तस्वीरों का प्रदर्शन संयुक्त राष्ट्र महासभा में तस्वीरों का प्रदर्शन : उस दिन के बाद मैलकम ने आजीवन मदर के कार्यों
शंखचूड़-तुलसी विवाह शंखचूड़-तुलसी विवाह : बद्रिकाश्रम में शंखचूड़ और तुलसी की भेंट हुई तो शंखचूड़ ने उससे गंधर्व-विवाह का प्रस्ताव किया। तुलसी शंखचूड़ की निश्छलता
विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र की प्राप्ति विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र की प्राप्ति : एक बार राक्षसों के उपद्रव से त्रस्त होकर अनेक ऋषि-मुनि भगवान विष्णु
दुर्वासा का मान भंग दुर्वासा का मान भंग : सप्तद्वीप के राजा अंबरीष अत्यंत धर्मनिष्ठ थे। वे सदैव एकादशी व्रत का पालन करते थे। उनका
राजा अंबरीष का दुर्वासा को क्षमा करना राजा अंबरीष का दुर्वासा को क्षमा करना : दुर्वासा ऋषि सुदर्शन-चक्र से अपनी जान बचाने के लिए तीनों
भस्मासुर से शिव की रक्षा भस्मासुर से शिव की रक्षा : भगवान शंकर बड़े भोले हैं। इसीलिए भोलेनाथ कहलाते हैं। एक बार उन्होंने राक्षसराज भस्मासुर
विष्णु का मत्स्य अवतार विष्णु का मत्स्य अवतार : राजर्षि सत्यव्रत भगवत्प्राप्ति के लिए केवल जल पीकर कठिन तपस्या कर रहे थे। एक दिन कृतमाला
विष्णु का वामनावतार विष्णु का वामनावतार : भक्त प्रह्लाद के पौत्र का नाम बलि था। वे असुर होते हुए भी अत्यधिक धार्मिक और दानवीर थे।
तीन पग भूमि का दान तीन पग भूमि का दान : श्रीविष्णु जब वहां पहुंचे तब राजा बलि अचल और अक्षय राज्य के लिए अश्वमेध
विष्णु का वराह अवतार विष्णु का वराह अवतार : कल्प के अंत में जब प्रलय होती है और सृष्टि का विनाश हो जाता है तब