Nahi Divas नहीं दिवस
Nahi Divas | Akbar Birbal Stories in Hindi : सुल्तान खाँ बादशाह अकबर क दरबार का एक महत्वपूर्ण दरबारी बनना चाहता था। उसने सुना था कि शाही खजाने के खजांची को नौकरी से निकाल दिया गया है। उसने निश्चय किया कि वह अपने प्रभाव का प्रयोग करके वह पद अपने पुत्र को दिला देगा। पर सुल्तान खाँ का पुत्र धूर्त एवं कपटी था। वह एक धोखेबाज तथा झूठा इन्सान था। उसके बुरे कारनामों की चर्चा चारों ओर फैली हुई थी। अपनी योजना के अनुसार सुल्तान खाँ ने अपने पुत्र को दरबार में लाना आरंभ कर दिया। वह सदैव बादशाह को खुश करने में लगा रहता था। वह बीरबल से भी बहुत ईष्या करता था। इसी प्रकार कुछ दिन बीत गए। एक दिन बीरबल समय पर दरबार में नहीं पहुँचे। सुल्तान खाँ ने सोचा कि बादशाह को बीरबल के खिलाफ भड़काने का यह उचित समय है। वह उठा और बोला “महाराज, आपने देखा कि बीरबल आज दरबार में अनुपस्थित हैं। पता नहीं क्या बात है, आजकल वह प्रशासनिक कार्यों में बहुत लापरवाह हो गए हैं।”
बादशाह समझ गए कि सुल्तान खाँ उन्हें बीरबल के खिलाफ भड़का रहा है। वह यह देखना चाहते थे कि सुल्तान खाँ क्या चाहता है? इसलिए उन्होंने कहा, “हाँ सुल्तान खाँ, मैं तुमसे सहमत हूँ। पर मेरी समझ में यह नहीं आ रहा है कि मुझे दरबार में देरी से आने के लिए उसे क्या सजा देनी चाहिए?” सुल्तान खाँ बादशाह क शब्दों को सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ। बादशाह को सलाह देते हुए उसने कहा ‘महाराज, आप बीरबल की हर बात के लिए ‘नहीं’ कहिएगा।” बादशाह अकबर उसकी बात से सहमत हो गए। बीरबल के दरबार में देरी से पहुँचने पर बादशाह ने पूछा “बीरबल, तुम आज इतनी देरी से क्यों आए हो?” ‘मेरी पत्नी की तबियत खराब है, महाराज। मैं हकीम को लेने गया था।
इसलिए मुझे आज देरी हो गई।” “मुझे तुम पर विश्वास नहीं है।” बादशाह बोले। “मैं सच बोल रहा हूँ, महाराज! और आपसे क्षमा माँगता हूँ।” बीरबल ने कहा। “नहीं, आज तुम्हेंमाफ नहीं किया जाएगा।” बादशाह बोले। “ओह, ऐसा लगता है जैसे कि बादशाह के लिए आज ‘नहीं’ दिवस है। वह हर बात के लिए ‘नहीं’ कह रहे हैं, बादशाह के व्यवहार में आज यह विशेष परिवर्तन क्यों है? कुछ-न-कुछ गड़बड़ अवश्य है।” बीरबल ने सोचा। तभी बीरबल ने देखा कि सुल्तान खाँ बादशाह को देखकर मुस्कुरा रहा है। वह समझ गया कि यह उसी की चालाकी का फल है। वह यह जानता था कि सुल्तान अपने धूर्त पुत्र को खजांची का पद दिलाना चाहता है। इसलिए बीरबल ने कहा, “महाराज, कम-से-कम कुछ प्रशासनिक समस्याओं पर तो चर्चा कीजिए।” “नहीं। इसकी कोई आवश्यकता नहीं।” तुरंत जवाब आया।
“तब क्या मैं घर जा सकता हूँ?” बीरबल ने कहा। ‘नहीं, मैं तुम्हें घर जाने की आज्ञा नहीं दूँगा।” बादशाह ने जवाब दिया। तब बीरबल ने कहा, “मृहाराज, क्यू मैं आमसे सुल्तान खाँ के पुत्र को खजांची का पद देने की प्रार्थना कर सकता हूँ?” “नहीं बीरबल! तुम ऐसा नहीं कर सकते।” बादशाह ने कहा। तब वह समझ गए कि सुल्तान खाँ क्या चाहता है और बीरबल किस प्रकार समस्या को सुलझा रहा है। सुल्तान खाँ बादशाह के जवाब को सुनकर हैरान हो गया। उसकी योजना असफल हो गई थी। ‘नहीं” दिवस उसके लिए वास्तव में ‘अशुभ दिवस’ हो गया था।
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