नाग का कुटिल स्वभाव | Nag Ka Kutil Swabhav : किसी वन-प्रदेश में बरगद का एक विशाल वृक्ष था। उस वृक्ष पर एक कौआ-कोई घोंसला बनाकर रहते थे। वृक्ष के नीचे ही एक बिल में एक काला नाग रहता था। वह नाग कोई के नन्हे-नन्हे बच्चों को उनके पंख निकलने से पहले ही खा जाता था। दोनों इससे बहुत दुखी थे। अन्त में दोनों ने अपनी दुख-भरी व्यथा वृक्ष के नीचे रहने वाले एक गीदड़ को सुनाई और उससे यह भी पूछा कि अब क्या किया जाए.
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गीदड़ ने कहा – शत्रु पर उपाय द्वारा विजय प्राप्त करना अधिक आसान हैं. एक बार एक बगुला बहुत-सी उत्तम, मध्यम, अधम मछलियों को खाकर प्रलोभनवश एक केकड़े के हाथों उपाय से ही मारा गया था।
दोनों ने पूछा-‘वह कैसे ?’
तब गीदड़ ने कहा-‘सुनो, सुनाता हूं।
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