नचिकेता की आत्म शांति | Nachiketa ki Aatm Shanti
नचिकेता की आत्म शांति | Nachiketa ki Aatm Shanti : गौतम मुनि के पुत्र का नाम नचिकेता था। एक बार गौतम मुनि ने एक यज्ञ
किया। जिसको करने पर उस व्यक्ति को कई दिव्य पुरस्कार मिल सकते थे। इस यज्ञ में अपनी प्यारी वस्तुओं को दान में दिया जाना भी सम्मिलित था। गौतम मुनि ने अपने जानवर पण्डितों को दान में दे दिए। नचिकेता ने देखा कि उसके पिता जानवरों को दानस्वरूप पण्डितों को दे रहे हैं।
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नचिकेता जानवरों को देखकर सोचने लगा, “यह सभी जानवर बूढ़े हो गए हैं, अब इनका अधिक उपयोग नहीं है। इन्हें हम दान में पण्डितों को नहीं दे सकते।” नचिकेता अपने पिता के पास गया और बोला, “पिताश्री, मैंने सुना है कि इस यज्ञ में आपको अपनी सभी प्यारी वस्तुएँ दान में दे देनी पड़ेगी।” गौतम मुनि ने
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नचिकेता की आत्म शांति | Nachiketa ki Aatm Shanti : उत्तर दिया, “हाँ पुत्र!” “पिताश्री, मैंने देखा है कि जानवर दान में देने के लिए उचित नहीं हैं। मैं भी तो आपकी प्यारी वस्तु हूँ। मुझे किस दान में दिया जाएगा?” गौतम मुनि चुप रहे। उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया, परन्तु नचिकेता उनसे बार-बार वही प्रश्न करता रहा। नचिकेता के बार-बार पूछने से गौतम मुनि को क्रोध आ गया। क्रोध में उन्होंने नचिकेता को श्राप दिया,”मैं तुम्हें मृत्यु का दान दूँगा।” जैसे ही यह शब्द गौतम मुनि के मुंह से निकले, तुरंत नचिकेता की मृत्यु हो गयी और वह यमलोक पहुँच गया। नन्हें नचिकेता ने सोचा, “अब मैं यम का शिष्य बनकर उनकी सेवा करूंगा।”
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नचिकेता की आत्म शांति | Nachiketa ki Aatm Shanti : जब नन्हा नचिकेता, यमराज के निवास स्थान पर पहुँचा, उसे एक पहरेदार दिखाई दिया। नचिकेता ने उससे कहा, “मैं यहाँ यमराज से मिलने आया हूँ।” ” पर वे तो यहाँ पर नहीं हैं।” पहरेदार ने उत्तर दिया। यह सुनकर नचिकेता यमराज की प्रतीक्षा करने लगा। करीब तीन दिनों के बाद यमराज वहाँ आए। वापसी पर उनकी पत्नी ने कहा, “अतिथि भगवान् के समान होता है और यदि यह ब्राह्मण हो तो यह और भी गर्व की बात है। एक ब्राह्मण पुत्र पिछले तीन दिनों से हमारे द्वार पर बिना अन्न ग्रहण किए आपकी प्रतीक्षा कर रहा है।”
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नचिकेता की आत्म शांति | Nachiketa ki Aatm Shanti : यह सुनकर यमराज तुरन्त वहाँ पहुँचे, जहाँ नचिकेता उनकी प्रतीक्षा कर रहा था। वह बोले, “तुम पिछले तीन दिनों से यहीं पर खड़े-खड़े मेरी प्रतीक्षा कर रहे थे। तुमने जीवित रहने के लिए क्या खाया?” इस पर नचिकेता ने उत्तर दिया, “पहले दिन मैंने आपके वंशजों को खाया। दूसरे दिन आपकी सारी सम्पत्ति तथा पशुओं ने मुझे खिलाया तथा तीसरे दिन मैंने आपकी सारी अच्छी बातों को भोजन स्वरूप ग्रहण किया।
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नचिकेता का यह उत्तर सुनकर यमराज अपने महल में गए और नचिकेता के चरण धोने के लिए पवित्र जल लाए। वह बोले, “मेरी अनुपस्थिति के लिए मुझे क्षमा करो, ब्राह्मण पुत्र और मुझे मेरे पाप के लिए भी क्षमा करो। बदले में मैं तुम्हें तीन वरदान देता हूँ।” अत: नचिकेता ने पहला वरदान माँगा। उसने कहा, ‘मेरी घर वापसी पर मेरे पिता को क्रोध नहीं आना चाहिए।” यमराज इस वरदान को मान गए।
“दूसरे वरदान के रूप में आपको मुझे उस सार्वभौमिक शक्ति का स्वरूप समझाना होगा, जिससे समस्त सृष्टि की रचना हुई है?”
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नचिकेता की आत्म शांति | Nachiketa ki Aatm Shanti : “इसके विषय में तुम्हे मैं अभी बताता हूँ.” यह कहकर यमराज ने उसे सौर्वभौमिक शक्ति व त्याग की अग्नि का ज्ञान दिया. इसके पश्चात यमराज ने कहा, “तुमने उस रहस्यमयी शक्ति को जान लिया है, जो हमारे हृदय में है। अब से त्याग की यह अग्नि तुम्हारे नाम से जानी जाएगी। मैं । तुम्हें बहुरंगी मोतियों की । माला देता हूँ। इसकी सहायता से तुम्हें प्रकृति की गुप्त शक्तियों के रहस्य तथा भूतकाल के विषय में पता चल जाएगा।”
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तीसरे वरदान के लिए नचिकेता ने कहा, “मुझे यह बताइए कि मृत्यु के पश्चात् मनुष्य का क्या होता है, जब वह अपने शरीर, मस्तिष्क और आत्मा से स्वतंत्र हो जाता है? इस विषय में विपरीत विचार हैं। कुछ लोग कहते है कि वह मृत्यु के बाद भी जीवित रहता है। जब कि कुछ लोगों का इस बारे में भिन्न विचार है। मुझे मृत्यु के पश्चात् के जीवन की सच्चाई बताइए।” “ब्राह्मण पुत्र, मैं तुम्हारे इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे सकता। इसके अतिरिक्त तुम चाहो तो कुछ भी पूछ सकते हो।” यमराज ने कहा। “पर आप इसका उत्तर क्यों नहीं दे सकते?” “स्वयं भगवान् भी इसका उत्तर नहीं दे सकते, नचिकेता,” यमराज ने उत्तर दिया।’
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नचिकेता की आत्म शांति | Nachiketa ki Aatm Shanti : “कृपया मुझे बताइए। दया करके मुझे यह वरदान प्रदान कीजिए, क्योंकि मैं जानता हूँ कि इस पूरे संसार में और कोई नहीं, केवल आप ही इस विषय का सर्वश्रेष्ठ वर्णन कर सकते हैं।” परन्तु यमराज, नचिकेता की परीक्षा लेना चाहते थे, अत: वे बोले, “तुम कुछ भी माँगो, समस्त धन, शक्ति, प्रसिद्धि, सुख, सारे ब्रह्माण्ड का स्वामित्व। यदि तुम यह सब चाहते हो, तो यह सब मैं तुम्हें अभी दे दूँगा।” इस पर नचिकेता बोला, “आप चाहें तो मुझे सृष्टि का स्वामी बना सकते हैं, परन्तु एक दिन वह आयेगा जब यह सृष्टि भी समाप्त हो जाएगी।
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नचिकेता की आत्म शांति | Nachiketa ki Aatm Shanti : उस चीजों को पाकर मेरा कुछ भला होने वाला नहीं है। क्योंकि यह सब वस्तुएं क्षण भंगुर हैं. आज है, कल नहीं होंगी। सो यह सब मुझे थोड़ी देर के लिए संतुष्ट तो कर सकते हैं, परन्तु हमेशा के लिए नहीं, क्योंकि मैं जानता हूँ कि अन्त में यह सब मुझे निर्बल ही कर देंगे। सो, मेरी मानिये और यह सब आप अपने लिए रख लीजिये. रहा सवाल मेरा तो, मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए। बस अपने लिए मैं केवल अपने प्रश्न का उत्तर चाहता हूँ।” नचिकेता ने यमराज के प्रस्ताव में कोई रुचि नहीं ली। उसने पुन: अपना प्रश्न दोहराया। तब नचिकेता ने तीन दिन तक व्रत रखा तथा तीन बार फिर से वही प्रश्न पूछा। नचिकेता की रुचि देखकर यमराज ने उन्हें तीसरा वरदान भी प्रदान कर दिया। इस प्रकार नचिकेता दु:खों से रहित ज्ञान की प्राप्ति हुई, जो मोक्ष के समान है।
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