मालिक भागो व भाई लालो | Malik Bhago v Bhai Lalo

मालिक भागो व भाई लालो | Malik Bhago v Bhai Lalo : एक दिन गुरु नानक देव मर्दाना नाम के एक स्थान पर पहुँचे। वहाँ एक गरीब बढ़ई जिसका नाम भाई लालो था, ने उन्हें दोपहर में भोजन पर आमंत्रित किया। गुरु नानक देव में एक खास बात थी कि वह कभी-भी ऊँची-नीची जाति तथा अमीर व गरीब में कोई भेदभाव नहीं करते थे, इसलिए वह उनके घर भोजन पर जाने के लिए राजी हो गए। कुछ समय पश्चात् मलिक भागो, जो गाँव का एक अमीर जमींदार था, ने भी गुरु नानक देव को दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित किया।

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उसने गुरु नानक देव के लिए कई स्वादिष्ट पकवानों की व्यवस्था की थी। गुरु नानक देव ने भाई लालो के घर सूचना भिजवाई कि वह भी अपना भोजन लेकर मलिक भागो के घर आ जाए। दोपहर के समय, मलिक भागो ने विभिन्न प्रकार के भोजन गुरुदेव को प्रस्तुत किए, तभी भाई लालो भी अपने हाथों में दो मक्की की रोटी लेकर आ गया। गुरुदेव ने भाई लालो से दोनों रोटियाँ ले लीं और खाने लगे। इस पर मलिक भागो ने गुरुनानक देव से पूछा, “गुरुजी, मैंने आपको इतना स्वादिष्ट भोजन परोसा, फिर भी आप इस गरीब आदमी के हाथ का साधारण भोजन खा रहे हैं।”

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मालिक भागो व भाई लालो | Malik Bhago v Bhai Lalo : इस पर गुरु नानक देव ने मलिक भागो द्वारा परोसे गए भोजन में से पूरी का एक टुकड़ा हाथ में ले लिया तथा दूसरे हाथ में भाई लालो की मक्की की रोटी ले ली। उन्होंने रोटी और पूरी दोनों को अपनी हथेली में दबाया। जिस हाथ में मलिक भागो की पूरी थी, उसमें से खून की बूंदें गिरने लगी तथा जिसमें भाई लालो की रोटी थी, उसमें से दूध की बूंदे टपकने लगी। यह देख वहाँ एकत्रित सभी लोग हैरान हो गए। तब गुरुदेव मुस्कुराते हुए बोले, “मलिक भागो, तुमने अपने यहाँ काम करने वालों को बहुत सताया है। उन पर बहुत अत्याचार किया है। तुम उनकी मेहनत, उनके खून-पसीने को खाते हो। यह वही खून है, जो तुम्हारी रोटी से निकल रहा है। दूसरी तरफ, भाई लालो मेहनत करता है तथा अपनी मेहनत का खाता है। अत:उसके भोजन में से दूध की बूंदे निकलीं। मलिक भागो, गरीबों पर अत्याचार बंद करो, जरूरतमंदों की सहायता करो। रुपए, पैसे, जेवर आदि वास्तविक सम्पति नहीं हैं। असली सम्पति तो गरीबों की सेवा में है। यदि तुम ऐसा करोगे तो सदैव
खुशहाल रहोगे।” इस प्रकार मलिक भागो ने गुरु नानक देव जी से एक महान् सबक सीखा। जिसने उसके जीवन को पलटकर रख दिया।

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