मक्का में गुरु नानक देव | Makka Mein Guru Nanak Dev
मक्का में गुरु नानक देव | Makka Mein Guru Nanak Dev : गुरु नानक देव पुरे भारत में घूम चुके थे. जहाँ उन्होंने विभिन्न धर्मो की धार्मिक स्थलों के दर्शन किये. इसके पश्चात वे अन्य देशो में भी गए.
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एक बार लम्बे समय की यात्रा के बाद गुरुदेव मक्का पहुंचे. वह बहुत थके हुए थे, अत: वह जमीन पर ही लेट गए और तुरन्त सो गए। उन्हें सोए हुए कुछ ही मिनट हुए थे कि तभी मक्का का काजी उनके पास आया। उसने गुरु जी को उठाया और बोला, “यह तुम कैसे सो रहे हो। तुमने अपने पैरों को पवित्र काबा की तरफ किया हुआ है। क्या तुम जानते नहीं कि तुम्हें ऐसे नहीं सोना चाहिए?” “मुझे क्षमा कर दो भाई! मैं बहुत थक गया था। मुझे नहीं पता कि मैं कब सो गया। परन्तु आप इतने क्रोधित क्यों हैं?”
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मक्का में गुरु नानक देव | Makka Mein Guru Nanak Dev : “काबा, अल्लाह का घर है। तुम अपने पैरों को काबा की ओर किए सो गए।” काजी ने कहा। “ओह, मुझे क्षमा करो भाई! कृपया मेरे पैरों को उस तरफ मोड़ दी, जिस तरफ काबा न हो।” नानक ने कहा। काजी के संरक्षकों ने गुरु जी के पैर दूसरी दिशा में मोड़ दिए। परन्तु यह देख कर सभी हैरान हो गए कि जिस भी दिशा में पैरों को घुमाया जा रहा है, काबा भी उसी दिशा में घूम रहा है। अब संरक्षकों ने गुरुदेव के पैर गोल तब गुरु नानक देव बोले, “काजी साहब, भगवान् हर दिशा में हर स्थान में है। भगवान् की दिव्य ज्योति प्रत्येक मनुष्य में है। मनुष्य को छोटा-बड़ा मानना गलत है। बस, भगवान् पर विश्वास करो। हर समय उसकी पूजा करो। तुम्हें उसका आशीर्वाद मिलेगा।”
काजी, गुरुजी की बातों से बहुत प्रभावित हुआ और उसने उनका सिर झुकाकर सम्मान किया।
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