Language Dialect Script and Grammar in Hindi
Language Dialect Script and Grammar in Hindi : संसार में मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है, जिसे ईश्वर ने सोचने-समझने और अपने भावों को व्यक्त करने की शक्ति दी है। मनुष्य बोलकर अपने भावों को व्यक्त करता है तथा आवश्यकता पड़ने पर लिखकर भी मन की बात को स्पष्ट करता है। इन दोनों माध्यमों का मूल आधार ‘भाषा‘ ही है। इसके अतिरिक्त मनुष्य कभी-कभी अपनी भावनाओं को प्रकट करने के लिए संकेतों का सहारा लेता है, पर संकेतों (इशारों) के सहारे वह पूरी तरह अपनी भावनाओं को प्रकट नहीं कर पाता। इसी कारण संकेतों के सहारे भावनाओं को प्रकट करना भाषा नहीं कहलाती। अत: भाषा के लिए कहा जा सकता है कि :
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Language Dialect Script and Grammar in Hindi
जिस साधन दवारा मनुष्य अपने विचारों का आदान-प्रदान करता है, उसे भाषा कहते हैं।
यह आदान प्रदान दो प्रकार से किया जाता हैं
1. बोलकर
2. लिखकर
इस प्रकार प्रयोग के आधार पर भाषा के दो रूप होते हैं.
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भाषा :
मौखिक और लिखित
1. मौखिक जब व्यक्ति अपने मन के भावों को बोलकर व्यक्त करता है, तो वह भाषा का मौखिक रूप होता है।
2. लिखित जब व्यक्ति अपने मन के भावों को लिखकर व्यक्त करता है, तो वह भाषा का लिखित रूप होता है।
Language Dialect Script and Grammar in Hindi : साधारणतया भाषा का मौखिक रूप हम सँभालकर नहीं रख सकते, क्योंकि बोलकर प्रकट किए गए विचार बोलने के बाद नहीं रहते। इसके विपरीत, भाषा के लिखित रूप को हम कई रूपों में सँभालकर रख सकते हैं। इस रूप के द्वारा ही ज्ञान, विज्ञान, साहित्य एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचता है।
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Language Dialect Script and Grammar in Hindi : विचार कीजिए कि अगर भाषा का यह लिखित रूप नहीं होता, तो ज्ञान, विज्ञान और साहित्य का जो भंडार आज हमें उपलब्ध है, वह हमारी अगली पीढ़ी तक नहीं पहुँच पाता। इसलिए भाषा का यह रूप सचमुच ज्ञान, विज्ञान और साहित्य आदि के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.
Language Dialect Script and Grammar in Hindi : मौखिक भाषा को सीखने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इसे बच्चा अपने घर-परिवार से अपने-आप ही सीख जाता है, लेकिन लिखित भाषा को सीखने के लिए अभ्यास की आवश्यकता पड़ती है।
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बोली :
सीमित क्षेत्रों में बोले जाने वाले भाषा के रूप को बोली कहा जाता है अर्थात स्थानीय व्यवहार में, रूप में प्रयुक्त होने वाली भाषा बोली कहलाती है। बोली का कोई लिखित रूप नहीं होता। मगही (मागधी मैथिली, बज्जिका, राजस्थानी, बुंदेलखंडी आदि कई ऐसी बोलियाँ हैं, जिनका प्रयोग भारत के भिन्न-भिन्न भागों किया जाता है।
Language Dialect Script and Grammar in Hindi : हमारे देश में पहले अठारह भाषाओ को मान्यता मिली हुई थी किन्तु उन में चार बोलियाँ और जोड़ कर उन्हें भी भाषा का रूप दे दिया गया है। जो बोलियाँ भाषा के रूप में मान्य हैं, वे हैं- डोगरी, मैथिली, बोडो तथा कोंकणी इस प्रकार भारत में अब 22 भाषाए प्रचलित हैं.
Language Dialect Script and Grammar in Hindi
1. हिंदी 2. संस्कृत 3. उर्दू 4. नेपाली 5. पंजाबी 6. बांग्ला 7. मैथिली 8. सिंधी 9. तमिल 10. तेलुगू 11. कन्नड 12. उडिया 13. असमिया 14. बोडी 15. डोगरी 16. कश्मीरी 17. मलयालम 18. मराठी | 19. संथाली 20. मणिपुरी 21. गुजराती 22. कोंकणी
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लिपि :
भाषा का प्रयोग करते समय हम सार्थक ध्वनियों का उपयोग करते हैं। इन्हीं मौखिक ध्वनियों को जिन चिहनों द्व लिखकर व्यक्त किया जाता है, वे चिहन लिपि कहलाते हैं। इसे सरल शब्दों में इस प्रकार कहा जा सकता है—
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किसी भी भाषा के लिखने की विधि को लिपि कहा जाता है।
प्रत्येक भाषा के लिपि-चिहन अलग-अलग होते हैं तथा उन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है; जैसे संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी है। इसी प्रकार अंग्रेजी भाषा की लिपि रोमन, पंजाबी भाषा की लिपि गुरमुखी और उर्दू भाषा की लिपि फ़ारसी है।
व्याकरण
Language Dialect Script and Grammar in Hindi : भाषा की शुद्धता व एकरूपता को बनाए रखने के लिए व्याकरण का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। व्याकरण के ज्ञान को प्राप्त कर हम भाषा का शुद्ध प्रयोग करना सीख सकते हैं। जब तक व्याकरण के नियमों की सही जानकारी नहीं हो जाती, हम भाषा का सही रूप लिखने व बोलने में समर्थ नहीं हो पाते। अत: कहा जा सकता है कि –
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जो शास्त्र हमें वणों, शब्दों और वाक्यों के शुद्ध प्रयोग की जानकारी देता है, वह व्याकरण कहलाता है।
वाक्य शुद्ध है या अशुद्ध, इस बात का पता वही व्यक्ति लगा सकता है, जो व्याकरण का ज्ञान रखता है। व्याकरण को तीन भागों में बाँटा गया है—
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1. वर्ण विचार : इसके अंतर्गत वर्णों पर विचार किया जाता हैं जैसे :
अ, आ, इ, ई, क, ख आदि।
2. शब्द विचार – इसके अंतर्गत शब्दों पर विचार किया जाता है. जैसे :
सड़क, विद्यार्थी, घर आदि। व्याकरण
3. वाक्य-विचार – इसके अंतर्गत वाक्यों पर विचार किया जाता है. जैसे :
महात्मा गांधी की भारत के राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है।
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