जब मिले भीम से हनुमान | Jab Mile Bheem se Hanuman
जब मिले भीम से हनुमान | Jab Mile Bheem se Hanuman : पशुपत अस्त्र प्राप्त करने के उद्देश्य से अर्जुन हिमालय पर्वत पर भगवान् शिव की तपस्या के लिये गये। इसके पश्चात् इन्द्रदेव, अर्जुन को अमरावती ले गये।
अर्जुन की अनुपस्थिति में युधिष्ठिर अपने तीन भाईयों, माता कुंती व द्रौपदी के साथ बद्रिका आश्रम में रुके । एक दिन हवा के तेज बहाव की वजह से पर्वतों की झील में उगा ब्रह्माकमल अर्थात् एक पुण्य कमल, टूटा व उड़कर उस स्थान पर गिर गया जहाँ द्रौपदी बैठी थी।
Also Check : New Year Msgs
उसने सुन्दर पुष्प को उठाया और भीम से बोली, “मैंने इससे पहले इतना सुन्दर पुष्प नहीं देखा। क्या तुम ऐसा ही एक और पुष्प मेरे लिए ला सकते हो, उससे मैं अपने बालों को सजाऊँगी।” भीम, युधिष्ठिर से आज्ञा लेकर द्रौपदी के लिए एक और पुष्प लेने चला गया।
जब भीम जगल में जा रहा था तो मार्ग में आने वाले सभी जानवरों को पीछे छोड़ता चला जा रहा था। पूरा जंगल उसकी चेतावनी की गूँज से थर्रा रहा था। वहीं पास में ही हनुमान जंगल में विश्राम कर रहे थे। उन्होंने सोचा,
Also Check : Best New Year Wishes
जब मिले भीम से हनुमान | Jab Mile Bheem se Hanuman : “मेरे समान भीम भी वायुपुत्र है। वह मेरा छोटा भाई है। मुझे उसे सबक सिखाना चाहिए कि अपनी शक्ति पर अधिक घमण्ड नहीं करना चाहिए और अपने से छोटे जगल के जानवरों को नहीं डराना चाहिए।” अत: हनुमान ने एक बूढ़े और विशाल बन्दर का रूप धारण किया और उन्होंने अपनी पूंछ उस रास्ते पर रख दी, जहाँ पर कुछ ही देर में भीम पहुँचने वाले थे। जैसे ही भीम उस रास्ते पर पहुँचे, तो बूढ़े बन्दर की पूँछ रास्ते में पड़ी देखकर चौंक गए और बोले “अरे बन्दर, तुमने मेरा मार्ग क्यों रोक रखा है?” बूढ़ा बन्दर बोला,
Also Check : Famous Quotes in Hindi
“मैंने आपका मार्ग नहीं रोका है। मैं बूढ़ा और बीमार हूँ, और बिना सहारे के हिल भी नहीं सकता हूँ। बस तुम इतना कर दो कि तुम्हारे मार्ग में पड़ी मेरी पूंछ को उठाकर एक तरफ रख दो और अपने मार्ग पर चले जाओ।” भीम बूढ़े बंदर की पूंछ को हटाने के लिए झुके, परन्तु वे उसकी पूंछ को एक इंच भी नहीं हिला सके। भीम ने पुन: प्रयास किया, परन्तु पूंछ तो एक विशाल चट्टान के समान भारी थी। भीम ने बार-बार प्रयास किया, परन्तु हर बार वह पूंछ उठाने में असफल रहे। शीघ्र ही वे थक गए। तब उन्हें लगा कि यह कोई साधारण बन्दर नहीं है जरूर यह कोई देवता या भगवान् हैं उन्होंने अपने दोनों हाथ जोड़े और बोले, “मुझे क्षमा कीजिए श्रीमान्! मुझे अपनी गलती अहसास हो गया है। कृपया मुझे अपना वास्तविक रूप दिखाइए।”
Also Check : Best Inspirational Thought
जब मिले भीम से हनुमान | Jab Mile Bheem se Hanuman : हनुमान अपने वास्तविक रूप में भीम के सामने प्रकट हो गए। उन्हें देखते ही भीम उनके चरणों में आशीवाद लेने के लिए झुक गए। तब हनुमान बोले, “भीम, तुम्हारे झूठे अहंकार को दूर करने के लिए ही मैंने यह सब किया। तुम्हें अपनी शक्ति का इतना अधिक घमण्ड हो गया था कि दूसरों का आदर व सम्मान करना तुम भूल गए थे।” पूछने पर भीम ने उन्हें बताया कि वे किस उद्देश्य के लिए और कहाँ जा रहे थे। हनुमान ने उन्हें उनकी सफल यात्रा के लिए आशीर्वाद दिया और कहा, ” भीम मैं तुम्हें कुछ महत्वपूर्ण बात बताना चाहता हूँ। भविष्य में असुरों
Also Check : New Year Love Shayari
जब मिले भीम से हनुमान | Jab Mile Bheem se Hanuman : जैसे लोग तथा देवताओं के समान लोगों के बीच भयंकर युद्ध होने वाला हैं.”
“हाँ, मैं जानता हूँ और वह हमारे बीच में होगा अर्थात् कौरवों व पाण्डवों के बीच।” भीम बोले “पर लड़ाई के अंत में पांडव ही विजयी होंगे,” हनुमान बोले। “ऐसा आप कैसे कह सकते हैं?” भीम ने पूछा। “क्योंकि श्रीकृष्ण तुम्हारे साथ होंगे। याद रखो, श्रीकृष्ण और मेरे प्रभु श्रीराम दोनों ही विष्णु के अवतार हैं। इसका मतलब है कि मेरे प्रभु भगवान् राम तुम्हारे साथ होंगे और यदि मेरे प्रभु तुम्हारे साथ होंगे, तो मैं भी तुम्हारी तरफ ही होऊँगा, और तुम अवश्य ही विजयी होंगे। मैंने अर्जुन को वचन दिया था कि कौरवों के साथ युद्ध में मैं उनके साथ हर क्षण रहूंगा परन्तु मैं एक योद्धा के रूप में । किसी को दिखाई नहीं दूँगा। मैं अर्जुन के रथ पर फहराते उनके झण्डे पर उपस्थित रहूँगा। मैं उन्हें आने वाले संकटों की चेतावनी देता रहूँगा तथा
Also Check : Hindi Motivational Quotes
जब मिले भीम से हनुमान | Jab Mile Bheem se Hanuman : पांडवो को कौरवों की हरकतों की सूचना भी पहुंचाता रहूंगा।” “यदि आपका आशीर्वाद हमारे साथ है तो मुझे विश्वास है कि हम अवश्य ही विजयी होंगे।” भीम ने कहा। “मेरा आशीवाद तुम्हारे साथ है, मेरे प्यारे भाई। जब मेरे भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण तुम्हारे साथ हैं तो भला मैं पीछे कैसे रह सकता हूँ।” हनुमान ने उत्तर दिया। हनुमान जी ने कहा, “अब तुम इसी मार्ग पर आगे जाओ। वहाँ तुम्हें एक झील मिलेगी। उस झील की निगरानी कुछ यक्ष करते हैं, उन्हें मेरा नाम बता देना। तो वह तुम्हें द्रौपदी के लिए मनचाहे कमल के फूल तोड़ने देंगे।” भीम ने हनुमान को झुककर प्रणाम किया और अपने मार्ग पर बढ़ गए। शीघ्र ही वह झील के पास पहुँच गए। यक्ष ने भीम को सर्वश्रेष्ठ फूल तोड़ने में उनकी सहायता की। तब भीम ने बद्रिका आश्रम में वापस आकर द्रौपदी को उसके केश सजाने के लिए फूल दिए।
Also Check : Slogans on Pollution in Hindi