ईश्वर की लीला | Ishwar Ki Leela
ईश्वर की लीला | Ishwar Ki Leela : एक बार एक शिकारी जंगल में शिकार की खोज में गया। जब उसने एक हट्टे-कट्टे सूअर को देखा, तो उसने अपना तीर – कमान निकाल लिया। उसने निशाना साधकर सूअर पर मारा। तीर सूअर के शरीर में अंदर तक घुस गया। सूअर अन्दृमी तौर पर घायल हो गया। उसने दर्द में होते हुए भी अपनी पूरी शक्ति से शिकारी पर वार कर दिया और शिकारी की मृत्यु हो गई। थोड़ी देर बाद सूअर भी मर गया।
इसके बाद एक भूखा गीदड़ वहां आया। वहां पर शिकारी और सूअर के शव पड़े थे। दो मुर्दा शरीरों को देखकर गीदड़ बहुत खुश हुआ और सोचने लगा – आज भगवान ने इतना भोजन भेजकर मुझ पर बहुत कृपा की है। आज का दिन मेरे लिए बहुत अच्छा है,
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ईश्वर की लीला | Ishwar Ki Leela : तभी तो बिना कुछ परिश्रम किए आज इतना इनाम मिला है। सभी बुद्धिमान लोग अपने धन का धीरे – धीरे उपयोग करते हैं, इसलिए मुझे सबसे पहले तीर – कमान पर लगी (गट) तांत के टुकड़े को खाना चाहिए।’
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ऐसा सोचकर गीदड़ शिकारी के शव के पास गया और तीर – कमान पर लगा तांत का टुकड़ा खाने लगा। एकाएक कमान से तीर छूटी और सीधा गीदड़ के पेट में जा घुसा । गीदड़ वहीं गिरकर मर गया। गीदड़ बुद्धिमत्ता और ध्यान से काम कर रहा था, पर उसे पता नहीं था कि भाग्य, धन, शिक्षा, जीवन और मृत्यु सब भगवान के अधीन है। उसने इन्हें पहले से निर्धारित कर रखा है।
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