Essay on Mahatma Gandhi | Mahatma Gandhi Essay in Hindi
Essay on Mahatma Gandhi : गाँधीजी दुनिया भर मे एक महान भारतीय के रूप मे जाने जाते है. वह “Father of the Nation” या “राष्ट्र के पिता” के रूप मे भी जाने जाते थे ओर लोग उन्हे प्यार से “बापू” कहकर बुलाते थे. उनका असली नाम था “मोहनदास करमचंद गाँधी”. उन्हे महात्मा का उपाधि दी गई थी जिसका अर्थ होता है महान आत्मा.
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प्रारंभिक जीवन –
महात्मा गाँधी का जन्म 2 October 1869 को पोरबंदर, गुजरात मे हुआ था. उनके पिता श्री करमचंद गाँधी बहुत ही शांत और सज़्ज़न इंसान थे और वहे राजकोट राज्य के प्रमुख दीवान थे. उनकी माता श्रीमती पुतलिबाई, एक बहुत ही सरल ओर धार्मिक महिला थी. उनकी माता का गाँधीजी पर बहुत गहरा असर पड़ा ओर इसी वजह से उनके के अंदर भी धार्मिक और अच्छे संस्कार विकसित हुए.
गाँधीजी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ओर दीक्षा अपने माता पिता से प्राप्त की. वे बचपन से ही बहुत धार्मिक, सच्चे, ईमानदार ओर निडर रहे थे. उन्होने सन् 1883 मे कस्तूरबा गाँधी के साथ शादी के फेरे लिए. उनकी शादी पारंपरिक रीति रिवाज़ो के साथ सम्पन हुई.
महात्मा गाँधी बचपन से बहुत बुद्धिमान रहे.पढ़ाई मे भी वहे हमेशा अव्वल आते थे.उन्होने अपनी मेट्रिक्स तक की पढ़ाई सन् 1887 मे पूरी की,अपनी प्रमुख पढ़ाई पूरी करने के बाद वे England चले गये Barrister in law की पढ़ाई के लिए, जब वह एक वकील बन गये तब वह वापस भारत लौट आए.
South Africa –
जब वहे 24 साल के हुए, तब वह एक वकील के तौर पर South Africa बाहर चले गये. वह South Africa मे 1893 से 1914 तक रहे ओर उन्होने वहाँ पूरे 21 साल बिताए.एक वकील के तौर पर उन्हे सिर्फ़ भारतीयों के ही केस मिलते थे जो की वही रहा करते थे.वहाँ रहकर उन्होने जाना की वहाँ भारतीयों को और काले लोगो को तीसरे दर्ज़े के लोग माना जाता था.उन्होने खुद कई बार नस्लवाद का दंश झेला.एक बार उन्हे फर्स्ट क्लास कोच मे travel करने से मना कर दिया गया ओर उन्हे ट्रेन से बाहर निकल दिया गया.इस तरह से उन्होने भारतीयों की बुरी स्थिति को करीब से देखा ओर भारतीयों के खिलाफ हो रहे अन्याय से लड़ने की कसम खाई.सन् 1894 मे उन्होने South Africa मे Indian Natal Congress का गठन किया जो की भारतीयों के अधिकारो के लिए लड़ता था.
उन्होने South Africa मे रहके वहाँ रहे रहे भारतीयों के मौलिक हक़ और अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई . इस संघर्ष के दौरान उन्होने लोगो को अहिंसा के द्वारा अपने अधिकारों ले लिए लड़ना सिखाया.इस तरह उन्होने South Africa मे अपनी छवि एक बड़े राजनैतिक नेता के रूप मे बनाई.
भारत मे वापसी –
वह सन् 1915 मे भारत आए.बाद मे वह Indian National Congress के प्रेसीडेंट बने.उन्होने ब्रिटिश सरकार के हो रहे तानाशाह शासन का विरोध किया.उन्होने भारत की आज़ादी के लिए देश भर मे कई बड़े आंदोलन चलाए जिनमे प्रमुख है Non-cooperation Movement जो की सन् 1920 मे हुआ,सत्याग्रह,Quit India Movement 1942 मे.उन्हे कई अवसरों पे जेल भी जाना पड़ा.गाँधीजी के आज़ादी के आंदोलन मे महिलाओ ने भी बढ चढ़ के हिस्सा लिया.
आज़ादी की लड़ाई मे अहिंसा उनका प्रमुख हथियार बना.उनका Non-Cooperation Movement एक अहिंसक आंदोलन था जिसने ब्रिटिश सरकार की जड़ें तक हिला डाली.सत्याग्रहआंदोलन या Dandi मार्च, ब्रिटिश सरकार के मनमाने टॅक्स वसूलने के विरोध मे किया गया.वहाँ गाँधी जी ने नमक बनाया बिना salt tax दिए.इसी तरह Civil Disobedience Movement देश भर के लोगो के आज़ादी मे सहयोग देने के लिए चलाया गया.
सन 1942 मे गाँधीजी ने “भारत छोड़ो” नारा छेड़ा.गाँधीजी ने अंग्रेज़ो को भारत छोड़ने को कहा ओर इसके लिए उन्होने “Quit India” का नारा बुलंद किया.Quit India Movement गाँधीजी द्वारा चलाया गया अब तक का सबसे बड़ा आंदोलन रहा जो की ब्रिटिश सरकार के ख़ात्मे का कारण भी बना.करोड़ो लोगो ने इस आंदोलन मे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया.उन्होने भारतीयों को अपना नारा दिया, “करो या मरो” अपनी भारत माता की आज़ादी के लिए.
गाँधीजी ने हमेशा अहिंसा,सच्चाई ओर शांति का मार्ग अपनाया.उन्होने अपने देशवासियों को आज़ादी के लिए प्रेरित किया लेकिन हथियारों का सहारा लेकर नही अपितु अहिंसा का,शांति ओर सत्य का सहारा लेकर.उन्होने ये सिद्ध किया की अहिंसा मात्र एक शब्द भर नही है अपितु ये सबसे बड़ा हथियार है भारत की आज़ादी के लिए.उन्होने देश की आज़ादी के लिए सत्याग्रह के सिद्धांतों को अपनाया.
भारतीय काल मे गाँधी युग –
सन् 1919 से लेकर 1948 तक कई आंदोलन मे उन्होने एक प्रभावशाली नेता के रूप मे अगुआई की भारत की आज़ादी में और स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर भारत की आज़ादी मे महत्वपूर्ण योगदान दिया.इसलिए इस काल को गाँधी का युग भी कहा जाता है.
गाँधीजी की अहमियत –
वह भारत मे ही नही बल्कि विश्व भर में एक जानी मानी शक्सियत थे.उन्होने ब्रिटिश साम्राज्य को हिला डाला जिससे ब्रिटिश सरकार भारत छोड़ने पर मजबूर हो गयी.उन्होने भारतवासियों के लिए अहिंसा, सत्य ओर शांति के दम पर आज़ादी सुनिश्चित करी.इसलिए वे एक संत नेता भी थे.आख़िरकार भारत को 15th August, 1947 को आज़ादी मिल गयी.
गाँधी जयंती –
भारत मे गाँधी जयंती हर साल उनके जन्म के दिन मनाई जाती है.इस दिन पूरे देश भर मे छुट्टी होती है.पूरा विश्व 2 October को “International day of Non-Violence” के रूप मे भी मनाता है.
दुर्भाग्य से नाथूराम गोडसे ने 30th January 1948 को गाँधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी..
निष्कर्ष –
महात्मा गाँधी ना सिर्फ़ एक प्रभावशाली नेता थे बल्कि वे एक संत भी थे.वहे सीधे साधे किंतु उच्च विचारों वाले,पवित्र,निस्वार्थी ओर एक धार्मिक व्यक्ति थे.वह अपना काम खुद ही करते थे.उन्होने आज़ादी के आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से ओर अहिंसा के मार्ग पे चलते हुए लड़े.उन्होने इसके अलावा देश मे व्याप्त सामाजिक कुरीतियों पर भी प्रहार किया.उन्होने भारत मे शिक्षा को बढ़ाने पर ज़ोर दिया.उन्होने भारतवासियों को स्वदेशी उत्तपाद इस्तेमाल करने पर ज़ोर दिया.वे स्वयं भी खादी से बने वस्त्र ही पहनते थे.वह देश मे से ग़रीबी ओर छुआछूत जेसी सामाजिक बुराइयों को भी मिटाना चाहते थे.
आज भी उनके द्वारा दिए गये संदेश याद किए जाते है.विश्व भर मे लोग उन्हे मान ओर सम्मान देते है तथा उनके आदर्शो पर चलने का प्रयत्न करते है.गाँधीजी हमेशा हम सब के दिलो मे ज़िंदा है और हमेशा याद किए जाएँगे.
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