Dhobi aur Kumhar | Akbar Birbal Stories in Hindi
Dhobi aur Kumhar | Akbar Birbal Stories in Hindi : एक दिन एक धोबी का गधा उसके पड़ोस में रह रहे एक कुम्हार के घर में घुस गया। कुम्हार ने अपने बर्तनों को धूप में सूखने के लिए रखा हुआ था। गधे ने सभी बर्तनों पर कूद-कूद कर उन्हें तोड़ दिया। तभी कुम्हार घर में आया। धोबी के गधे तथा अपने टूटे बर्तनों को देखकर वह क्रोधित हो गया। एक डडा उठाकर वह गधे को पीटने लगा। गधा दर्द के कारण जोर-जोर से रेंकने लगा। गधे की आवाज सुनकर धोबी अपने गधे को बचाने के लिए आ गया। “अरे, क्या बात है? तुम मेरे गधे को क्यों पीट रहे हो?” वह चिल्लाकर बोला। “अगर तुम्हें अपना गधा इतना ही प्रिय है तो उसे हिफाजत से क्यों नहीं रखते। तुम्हें उसे बाँधकर रखना चाहिए। इधर आकर देखो, तुम्हारे गधे ने मेरे सारे बर्तन तोड़ दिए हैं। ये बर्तन किसी सेठ के आदेश से बनाए गए थे, अब तुम्हीं बताओ कि मैं इतनी जल्दी बर्तन कैसे बना पाऊँगा कि दस दिन के अन्दर उसे दे सकूं। मैं इसे सजा दिए बिना नहीं छोड़ेंगा।”
कुम्हार ने कहा। “मैं तुम्हारे सारे टूटे बर्तनों की कीमत दे दूँगा। इस बात को यहीं समाप्त करो। हम इस छोटी-सी बात के लिए क्यों लड़ें?” धोबी ने कहा। उसने कुम्हार को पैसे दिए और अपने गधे को लेकर चला गया। परंतु कुम्हार अब भी गुस्से में था। मेहनत तो वह दुबारा कर लेता पर ग्राहक को तय किए गए समय के अंदर वह बर्तन कैसे दे पाएगा। इस बात की गंभीर समस्या थी। इसलिए गधे द्वारा किए गए नुकसान के बदले वह धोबी को सबक सिखाना चाहता था। अगले दिन वह बादशाह अकबर से मिलने दरबार गया। वहाँ वह बोला ‘महाराज, शाम को ही मेरे एक मित्र ईरान से आए हैं। उन्होंने मुझे बताया है कि ईरान के शाह हमारे देश और यहाँ के लोगों से बहुत प्रभावित हैं। परंतु वह कहता है कि भारतीय हाथी काले व गंदे होते हैं। उसकी सेना में सफेद व स्वच्छ हाथी हैं।” “तो इसमें हम क्या कर सकते हैं?” बादशाह ने पूछा। ‘महाराज, ईरान के शाह के पास धोबियों का बहुत बड़ा दल है जो हाथियों को दिन में दो बार साफ करता है।
अगर ईरान के शाह की तरह हम भी अपने हाथियों की नियमित रूप से धोएँ तो हो सकता है हमारे हाथी ईरान के हाथियों से भी अधिक स्वच्छ और सफेद हो जाएँ।” यह सुनकर बादशाह अकबर समझ गए कि कुम्हार के मन में कुछ शरारत है लेकिन वह प्रकट नहीं होने दे रहा है। वे बोले, ‘सारे नगर के धोबियों की एकत्रित करो और उन्हें कहा कि हमारे हाथियों को रोज धोएँ।” “महाराज, सभी धोबियों को बुलाने की कोई आवश्यकता नहीं है। मेरे पड़ोस में जो धोबी रहता है वह बहुत साफ धुलाई करता है। वह हमारे हाथियों की धुलाई के लिए उपयुक्त है।” बादशाह अकबर कुम्हार की योजना समझ गए, इसलिए उन्होंने अपने सेवकों को कहा, “जल्दी जाओ और धोबी को पकड़ कर ले आओ।” धोबी को बुलाकर हाथियों को साफ करने के लिए कहा गया। धोबी ने कुछ हाथियों को सारा दिन रगड़-रगड़ कर साफ किया परंतु वे सभी काले के काले ही रहे। शाम को थका हुआ धोबी घबरा गया। उसे बादशाह के क्रोध से डर लग रहा था क्योंकि हाथी अभी तक काले ही थे। वह यह भी समझ चुका था कि यह सब कुम्हार की योजना थी जो उसे सबक सिखाना चाहता था। धोबी सहायता के लिए तुरंत बीरबल के महल की ओर चल पड़ा। बीरबल से मिलने के पश्चात् वह निश्चित होकर अपने घर वापस आ गया।
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अगली सुबह जब बादशाह अकबर उसे हाथियों को साफ न करने के कारण डाँट रहे थे तो वह बोला, “महाराज, यदि मेरे पास एक बड़ा टब हो जिसमें हाथी को रगड़ते समय रखा जा सके तो मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे हाथी ईरान के बादशाह के हाथियों से अधिक सफेद हो जाएँगे। बादशाह अकबर जानते थे कि धोबी कुम्हार का जवाब दे रहा है। इसलिए वह बोले ‘कुम्हार को हाथी के नहाने के लिए एक बड़ा टब बनाने के लिए कहा जाए जिसमें हाथी को सुविधापूर्वक रखा जा सके।” कुम्हार को हाथी के नहाने के लिए टब बनाने का आदेश दिया गया। उसने इसे बनाने के लिए एक सप्ताह का समय लिया। तब वह उसे लेकर राज महल में पहुँचा परंतु जैसे ही हाथी ने अपना पैर टब में रखा, वह हाथी के वजन से टूट गया। बादशाह क्रोधित होकर बोले “तुमने एक कमजोर टब बनाया था। जाओ और सुबह तक एक और मजबूत टब बनाओ।” कुम्हार समझ गया कि वह पकड़ा जा चुका है। वह बादशाह के पैरों में गिरकर अपनी गलती मान गया कि वह धोबी को केवल सबक सिखाना चाहता था। तब बादशाह ने धोबी से पूछा “तुम्हें इस प्रकार टब बनाने की तरकीब कैसे सूझी ? मैं तुम्हें तुम्हारी इस बुद्धिमत्ता के लिए इनाम दूँगा।” ‘महाराज, इस इनाम को हकदार बीरबल साहब हैं. मैं नहीं. जब मैं उनसे सहायता मांगने गया था तो यह तरकीब मुझे उन्होंने ही बताई थी.” बादशाह अकबर ने बीरबल को बुलाकर डोभी की सहायता के लिए शाबाशी दी.
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