Dande ki Maya डंडे की माया
Dande ki Maya डंडे की माया : एक शाम बादशाह अकबर नदी में नौका-विहार का आनंद लेने के लिए गए। उनके साथ बीरबल, कुछ अन्य दरबारी और सैनिक भी थे। सब लोग नाव पर सवार हो गए। नाव अपने खूंटे से खोल दी गई। जैसे ही नौका आगे चली, बादशाह अकबर ने एक छोटा लकड़ी का डडा पानी के ऊपर तैरता हुआ देखा। वह बोले “जो कोई भी इस डडे की सहायता से नदी पार करेगा, उसे एक दिन का राजा बनाया जायेगा।” ऐसा कहकर अकबर ने अपना हाथ नदी में डाला और डडे को पकड़ लिया। उनका कोई भी दरबारी इस चुनौती को स्वीकार नहीं कर सका। अकबर ने वही चुनौती बीरबल के सामने रखी। बीरबल मान गया, परंतु बोला “महाराज, मैं आपके कहे अनुसार नदी पार कर लुंगा, परंतु मुझे आज के दिन का ही राजा बनाया जाए।” “ठीक है, मैं तैयार हूँ।
इसी समय से मेरा राज्य, खजाना, सैनिक और मेरे दरबारी सभी एक दिन के लिए तुम्हारे हुए। अब तुम हिन्दुस्तान के बादशाह हो।” अकबर बोला। तब बीरबल ने प्रणाम किया और डडे को अपने हाथ में ले लिया। वह नदी में लगभग कूदने ही वाला था कि दरबारियों ने रोक लिया और कहा ‘महाराज, आप नदी में छलाँग नहीं लगा सकते। हम आपको ऐसा नहीं करने देंगे। आपको कुछ नुकसान हो गया तो हमारी देखभाल कौन करेगा?” “नहीं ऐसा नहीं होगा।” ऐसा कहकर अपने हाथों से डडे की कसकर पकड़ते हुए बीरबल ने दोबारा नदी में छलाँग लगाने की कोशिश की।
परंतु अब सैनिकों ने उन्हें रोक लिया। उनमें से एक ने कहा “आप हमारे राजा हैं, हम आपके सेवक हैं और हम अपने कार्य के प्रति पूर्ण ईमानदार हैं। फिर हम किस प्रकार आपको खतरे के मुंह में जाने देंगे? आपकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। हम आपको किसी भी कीमत पर इस प्रकार छलाँग नहीं लगाने देंगे।” “मुझे जाने दो, मैं तुम्हें आदेश देता हूँ.” बीरबल ने आदेश दिया। “हम क्षमा चाहते हैं, महाराज, परंतु हम आपका आदेश नहीं मान सकते।” यह विवाद दस मिनट तक चलता रहा, इतनी देर में नाव भी किनारे तक पहुँच गई। तब बादशाह अकबर ने कहा “प्रिय बीरबल, तुमने अपना समय गॅवा दिया।
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तुमने नदी पार करने में डडे का प्रयोग नहीं किया।” “मैं माफी चाहता हूँ, महाराज, परंतु मैंने डडे का प्रयोग किया था। आपने मुझे एक दिन का राजा घोषित किया। मैंने फिर भी डडे को लेकर नदी पार करने के लिए उसमें छलाँग लगाने की कोशिश की। मेरे कर्तव्यनिष्ठ सैनिकों ने मुझे ऐसा करने से रोक दिया। मैंने तब तक डडे को अपने हाथ में पकड़े रखा, जब तक कि हम किनारे पर नहीं पहुँच गए। इस प्रकार आप कह सकते हैं कि मैंने नदी पार करने के लिए डडे का प्रयोग किया। ” बादशाह अकबर ने महसूस किया कि बीरबल एक बार फिर जीत गया।
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