भूखे को रोटी व प्यासे को पानी दो : फिलीपीन्स के इस होम में कमजोर नजर वालों को होम की ओर से जांच करके नजर
Category: Hindi Kahani
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विकलांग भाई के लिए शिफौंग का त्याग : एक बार मदर टेरेसा को सिंगापुर जाने का अवसर मिला। तब शिफौंग नाम की एक सोलह साल
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टैक्स न देने का पक्का इरादा : मदर के होम के लिए फ्रांस, जर्मनी और विश्व के कई अन्य देशों से रोगियों के लिए दवाएं
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नीली किनारे वाली सफेद साड़ी : मदर ने सन् 1948 में भारत की नागरिकता प्राप्त कर ली थी। वे भारतीय रंग में पूरी तरह रंग
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कूड़े और खराब चीजों का प्रयोग : मदर ने अपने जीवन काल में किसी वस्तु को भी बेकार या निरर्थक नहीं समझा था। उनका कहना

‘प्रेमदान’ की स्थापना : जगह की समस्या दूर होते ही मदर ने सारे कलकत्ता में मुनादी करा दी कि जो बच्चा नारियल के बेकार पड़े
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वह चीनी महिला : मदर के कलकत्ता स्थित वृद्धाश्रम में एक सत्तर वर्षीय चीनी महिला रहती थी जिसका नाम सान था। एक बार एक पत्रकार
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वृद्धाश्रम की स्थापना : मदर ने कुष्ठ रोगियों के लिए तो आश्रम स्थापित किए ही थे, घर वालों से सताए गए और उपेक्षित वृद्धों के

अविवाहित माताओं का होम : फिलीपीन्स में औलंगापू नाम का एक बंदरगाह है। यहां समुद्र के किनारे की बालू को देखकर ऐसा लगता है कि

विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित : मदर के सेवा कार्यों के लिए उन्हें देश-विदेश के सर्वोच्च पुरस्कार प्रदान किए गए। सन् 1979 में उन्हें एक भव्य
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मदर की प्रार्थना : जो व्यक्ति दूसरे के दर्द को अपने दिल में महसूस करता है, वही सच्चा मानव कहलाता है। मदर टेरेसा को यदि
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मदर की अंतिम यात्रा : रात-दिन काम करते-करते और बढ़ती उम्र के कारण मदर का स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा था। सन् | 1996 में मदर
श्रीविष्णु : प्रारंभ में आदि रूप ‘ब्रह्म’ के अतिरिक्त कुछ भी नहीं था। आदि रूप प्रधान ब्रह्म से ही विष्णु ने पुरुष रूप उत्पन्न किए
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अमृत की खोज : एक बार पृथ्वी पर भ्रमण करते हुए दुर्वासा मुनि को विद्याधर जाति की एक कन्या मिली। | उसके हाथ में संतानक
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समुद्र-मंथन : भगवान विष्णु का आश्वासन पाकर देवताओं ने समुद्र-मंथन की तैयारियां शुरू कर दीं। इस कार्य में सहायता करने के लिए उन्होंने असुरों को