विष्णु का नृसिंह अवतार विष्णु का नृसिंह अवतार : अहंकारी हिरण्यकशिपु अभी भी शक्ति के दर्प से उन्मत्त था। वह प्रह्लाद की बात मानकर विष्णु
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हिरण्यकशिपु का वध हिरण्यकशिपु का वध : वह भगवान श्रीहरि विष्णु का नृसिंह अवतार था। वह न मनुष्य था, न पशु; उस समय न दिन
विष्णु भक्त ऐतरेय विष्णु भक्त ऐतरेय : प्राचीन काल में माण्डूकि नामक एक ऋषि थे। उनकी पत्नी का नाम इतरा था। वे दोनों भगवान विष्णु
पुत्र के कारण माता का तिरस्कार पुत्र के कारण माता का तिरस्कार : आठवें वर्ष में जब बालक का यज्ञोपवीत संस्कार किया गया, तब पिता
ऐतरेय का तर्क, ‘भगवान का नाम ही सत्य है ऐतरेय का तर्क, ‘भगवान का नाम ही सत्य है : कुछ देर सोचकर ऐतरेय ने अपनी
ऐतरेय ब्राह्मण’ के जनक ऐतरेय मुनि ऐतरेय ब्राह्मण’ के जनक ऐतरेय मुनि : एक दिन भ्रमण करते हुए वे कोटितीर्थ नामक स्थान पर जा पहुंचे।
श्रेष्ठ कौन है? श्रेष्ठ कौन है? : एक बार कुछ ऋषियों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश को लेकर आपस में विवाद छिड़ गया कि इनमें
ब्रह्मा की परीक्षा ब्रह्मा की परीक्षा : भृगु ऋषि ब्रह्मा के मानस पुत्र थे। सर्वप्रथम ऋषियों से विदा लेकर वे ब्रह्मलोक पहुंचे और ब्रह्म पिता
शिव शंकर की परीक्षा शिव शंकर की परीक्षा : कैलाश पर्वत पर कुछ देर विश्राम करके भृगु ऋषि ने अपनी उखड़ी हुई सांसों को नियंत्रित
लक्ष्मी जी का क्रोध लक्ष्मी जी का क्रोध : भृगु ऋषि ने निश्चय किया कि जिस व्यक्ति में इतनी विनम्रता है, उससे श्रेष्ठ और कौन
भृगु ऋषि विष्णु लोक में भृगु ऋषि विष्णु लोक में : भृगु क्षीर सागर में पहुंचे, जहां विष्णु भगवान शेष-शय्या पर विश्राम कर रहे थे।
शिव और शंखचूड़ का युद्ध शिव और शंखचूड़ का युद्ध : विष्णु ने भगवान शंकर से देवताओं की सहायता करने का आग्रह किया, तो शंकर
विष्णु द्वारा छल से तुलसी का सतीत्व भंग विष्णु द्वारा छल से तुलसी का सतीत्व भंग : शिव के स्मरण करते ही विष्णु प्रकट हो
तुलसी का विष्णु को शाप तुलसी का विष्णु को शाप : तुलसी को जब यह पता चला कि उसका सतीत्व हरण करने वाला उसका पति
विष्णु द्वारा लक्ष्मी की खोज विष्णु द्वारा लक्ष्मी की खोज : विष्णु से रुष्ट होकर लक्ष्मीजी मृत्यु लोक में भरत खण्ड के कर्नाटक प्रदेश में