ब्राह्मण्ड ओर अर्जुन | Brhmand Aur Arjun

ब्राह्मण्ड ओर अर्जुन | Brhmand Aur Arjun : एक बार अर्जुन, भगवान् कृष्णा से मिलने द्वारका गए. श्रीकृष्ण द्वारका के राजा थे। अर्जुन उनसे बोले, “अब मेरे पास गांडीव धनुष है, अब जो भी मेरे मार्ग में आएगा, मैं उस पर सरलता से विजय प्राप्त कर सकता हूँ।” अभी वह यह बातें कर ही रहे थे कि उन्हें किसी व्यक्ति के रोने की आवाजे आई। अर्जुन ने देखा कि एक ब्राह्मण महल के द्वार पर खड़ा हुआ रो रहा है। वह श्रीकृष्ण के साथ ब्राह्मण के पास गए और बोले,

Also Check : Slogans in Hindi | नारे – दृढ संकल्पों से भरे हुवे

“प्रिय ब्राह्मण, तुम इस प्रकार क्यों रो रहे हो?” “मैं यहाँ अपने नौंवें पुत्र की मृत्यु का शोक करने आया हूँ। उस राजा के होने का क्या फायदा, जो एक बालक को मरने से नहीं बचा सकता? मैं चाहता हूँ कि वह मेरे पुत्र को बचाए, परन्तु वह ऐसा नहीं कर सकता।” ब्राह्मण ने जवाब दिया। अर्जुन ने सोचा, “श्रीकृष्ण एक शक्तिशाली योद्धा तथा एक महान् राजा हैं, फिर भी वह इस ब्राह्मण के पुत्र को बचा नहीं सके। मैं यह देखकर हैरान हूँ कि वह केवल मुस्कुरा रहे हैं और ब्राह्मण के पुत्र के लिए कर कुछ भी नहीं रहे।”

Also Check : Indian Geography in Hindi

ब्राह्मण्ड ओर अर्जुन | Brhmand Aur Arjun : तभी अर्जुन जोर से बोले, “मैं तुम्हारे पुत्र को तुम्हारे लिए, बचाऊँगा। बस मुझे इतना बता दीजिए कि तुम्हारी पत्नी अपने दसवें पुत्र को कब जन्म देगी।”
“जब बलराम और अन्य महान् योद्धा कुछ नहीं कर पाए, तो तुम मेरी सहायता कैसे करोगे?” ब्राह्मण्ड बोला.

Also Check : Hindi Rhymes | हिंदी कविताओं की बेहतरीन तुकबंदी

ब्राह्मण्ड ओर अर्जुन | Brhmand Aur Arjun : तब अर्जुन घमण्ड पूर्वक बोला, “मैं शक्तिशाली हूँ, मेरे पास गांडीव धनुष है और मुझसे कोई नहीं जीत सकता। मैं जैसा कहता हूँ केवल वैसा ही करो। यदि मैं तुम्हारे दसवें पुत्र की रक्षा न कर पाया तो मैं जीवित ही चिता में जल जाऊँगा।” ब्राह्मण आश्वस्त होकर वहाँ से चला गया। कुछ सप्ताह बाद वह आया और अर्जुन को बता गया कि उसका दसवाँ पुत्र जन्म लेने वाला है। अर्जुन, ब्राह्मण के साथ उसकी झोंपड़ी में गए। ब्राह्मण की पत्नी भी झोंपड़ी में ही थी। अर्जुन ने अपने शक्तिशाली धनुष से अनेक तीर चलाकर झोंपड़ी को ढक दिया और स्वयं दरवाजे पर रक्षक बनकर खड़े हो गए और बोले, ” अब स्वयं यमराज भी यहाँ प्रवेश नहीं पा सकते।”

Also Check : Hindi Poems On Nature | प्रकृति की कविताओं का संग्रह

ब्राह्मण्ड ओर अर्जुन | Brhmand Aur Arjun : तभी उन्होंने झोंपड़ी में से एक बच्चे के रोने की आवाज सुनी। ब्राह्मण झोंपड़ी में गया और गुस्से में बाहर आया। “तुम झूठे हो,” वह अर्जुन से बोला। “पिछली नौ बार कम-से-कम मैंने अपने मृत पुत्रों को देखा तो था, परन्तु इस बार तो वह भी नहीं दिखा। मेरी पत्नी ने मुझे बताया कि जैसे ही उसने जन्म लिया, वह हवा में गायब हो गया। अब अर्जुन बहुत घबरा गए। उसके पुत्र को वापस लाने का वादा करके वह बच्चे की खोज में निकल पड़े। वह अनेक स्थानों पर गए, परन्तु उसे खोज नहीं पाए, थक-हार कर वह वापस आए और एक चिता बनाने लगे। जैसे ही, वह उसमें छलाँग लगाने लगे, तभी भगवान् कृष्ण वहाँ पहुँच गए। “अर्जुन रुको, मेरे साथ आओ। मैं तुम्हें ब्राह्मण के पुत्र के पास ले जाऊँगा।” कृष्ण बोले। अर्जुन उनके पीछे चलते हुए सोचने लगे, ‘भगवान् कृष्ण, बालक के विषय में जानते थे, परन्तु फिर भी उन्होंने कुछ नहीं बताया।

Also Check : Gk Question in Hindi

ब्राह्मण्ड ओर अर्जुन | Brhmand Aur Arjun :  श्रीकृष्ण और अर्जुन रथ पर चढ़े और श्रीकृष्ण रथ को लेकर चल दिये। शीघ्र ही वे एक अंधेरे स्थान पर पहुँचे, जहाँ कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। कृष्ण ने अपने चक्र को रथ के आगे उजाला करते हुए चलने को कहा। अर्जुन भी भगवान कृष्ण के साथ ही थे। तभी उन्होंने देखा कि वह क्षीर सागर में हैं। वहाँ उन्होंने भगवान् विष्णु को, जो शेषनाग पर बैठे थे, ब्राह्मण के दस बच्चों से घिरा पाया। अर्जुन ने उन्हें प्रणाम किया। भगवान् श्रीकृष्ण, जो स्वयं भगवान् विष्णु के अवतार हैं, ने भी उन्हें प्रणाम किया। अर्जुन ने कृष्ण की ओर देखा कृष्ण बोले, “आश्चर्य मत करो, अर्जुन। यह सब तुम्हें नम्रता सिखाने के लिए किया गया।

Also Check : Thoughts in Hindi

ब्राह्मण्ड ओर अर्जुन | Brhmand Aur Arjun : तुमने सोचा कि तुम ब्राह्मण के पुत्र को बचाकर उसकी सहायता कर सकते हो, जबकि स्वयं मैं ऐसा नहीं कर सकता। यह सब तुम्हें सबक सिखाने के लिए किया गया कि तुम अपनी शक्तियों का अधिक बढ़ा-चढ़ा कर बखान मत करो।” भगवान् विष्णु बोले, “तुम्हें यहाँ लाने के लिए ही इन बच्चों को यहाँ लाया गया। अब तुम्हें सबक मिल गया है। जाओ वापस जाओ और धर्म का प्रसार कर असुरों का नाश करो, यही तुम्हारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए।” अर्जुन ने भगवान् विष्णु को धन्यवाद किया तथा ब्राह्मण के पुत्रों को लेकर वापस चल दिए। ब्राह्मण के सभी दस पुत्रों को ब्राह्मण के हवाले कर वह अपने जीवन के उद्देश्य की पूर्ति के लिए चल पड़े।

Also Check : Best Inspirational Quotations in Hindi

Share
Published by
Hind Patrika

Recent Posts

Go2win रिव्यु गाइड, बोनस और डिटेल्स | 2024 | Hind Patrika

Go2Win - भारतीय दर्शकों के लिए स्पोर्ट्सबुक और कैसीनो का नया विकल्प आज के दौर…

3 months ago

Ole777 रिव्यु गाइड, बोनस और डिटेल्स | 2023

Ole777 समीक्षा  Ole777 एक क्रिप्टो वेबसाइट  (crypto gambling website) है जिसे 2009 में लॉन्च किया…

2 years ago

मोटापा कैसे कम करें- 6 आसान तरीके – 6 Simple Ways for Weight Loss

मोटापे से छुटकारा किसे नहीं चाहिए? हर कोई अपने पेट की चर्बी से छुटकारा पाना…

2 years ago

दशहरा पर निबंध | Dussehra in Hindi | Essay On Dussehra in Hindi

दशहरा पर निबंध | Essay On Dussehra in Hindi Essay On Dussehra in Hindi : हमारे…

3 years ago

दिवाली पर निबंध | Deepawali in Hindi | Hindi Essay On Diwali

दिवाली पर निबंध  Hindi Essay On Diwali Diwali Essay in Hindi : हमारा समाज तयोहारों…

3 years ago

VBET 10 रिव्यु गाइड, बोनस और डिटेल्स | जनवरी 2022 | Hind Patrika

VBET एक ऑनलाइन कैसीनो और बैटिंग वेबसाइट है। यह वेबसाइट हाल में ही भारत में लांच…

3 years ago