Brasht Karamchari भ्रष्ट कर्मचारी
Brasht Karamchari Akbar Birbal Stories in Hindi : एक दिन सुरक्षाकमियों ने एक व्यक्ति को बादशाह अकबर के दरबार में प्रस्तुत किया। उनमें से एक सुरक्षाकर्मी बोला, ‘महाराज, इसे रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया. “यह क्या काम करता है? बादशाह ने पूछा। “महाराज, यह अनाज को गोदाम का कर्मचारी है।” सुरक्षाकर्मी ने जवाब दिया “इसे कारगर में डाल दो में इसकी सर्जा के क्छि सोचती हैं”। तब बीरबल ने कहा “महाराज, एक भ्रष्ट व्यक्ति रिश्वत लेता ही है चाहे उसका पद कुछ भी हो।” एक दरबारी उठा और बोला, “मैं क्षमा माँगता हूँ, महाराज! बीरबल जी के इस कथन से मैं पूर्णरूप से सहमत नहीं हूँ। कई काम ऐसे भी होते हैं जिनमें रिश्वत नहीं ली जा सकती।” “ठीक है, मैं इस भ्रष्ट व्यक्ति को तुम्हारा बताया काम देता हूँ। फिर देखते है यह क्या करता है।” बीरबल ने कहा दरबारी ने कहा “इसे यमुना नदी की लहरों को गिनने का काम दे दीजिए। मुझे पूरा विश्वास है कि यह इस काम में रिश्वत नहीं ले सकता।” बादशाह अकबर और बीरबल दोनों इस बात से सहमत हो गए। भ्रष्ट व्यक्ति को कारागार से लाया गया। उसे यमुना के किनारे ले जाकर कैदी की स्थिति में ही एक पत्थर पर बैठा दिया गया। और उससे कहा गया कि “पूरा दिन यमुना नदी के किनारे बैठकर उसकी लहरों को गिनो।” कुछ दिन बीत गए। भूखा-प्यासा, हाथ में हथकड़ी पहने हुए पेड़ के नीचे बैठा वह यमुना की लहरें गिनता रहा। किसी को उसकी चिंता ही न रही।
एक दिन बादशाह अकबर ने कहा ” बीरबल, क्या उस व्यक्ति की तरफ से कोई शिकायत मिली है जिसे रिश्वत लेने के अपराध में सजा दी गई थी।” दरबारी बीच में टोकते हुए बोला, “महाराज, इसकी कोई खबर नहीं। मैंने आपकी पहले ही कहा था कि वह रिश्वत नहीं ले सकता।” इस पर बीरबल बोला “हम सब कल सुबह वहाँ जाएँगे और स्वयं देखेंगे।” अगले दिन सुबह-सुबह बीरबल, दरबारीगण तथा बादशाह अकबर वगैरह मछुआरों के वेष मे एक नाव तथा एक जाल लेकर यमुना नदी की ओर चल पड़े। वे नदी के किनारे, जहाँ वह आदमी एक कागज-कलम लेकर बैठा था, नाव चलाने लगे। जैसे ही वे उस आदमी के निकट पहुँचे, वह उठा और जोर से चिल्लाने लगा “अरे, तुम लोग कौन हो? तुम सब यहाँ क्या कर रहे हो?” श्रीमान्, हम यहाँ नदी में मछलियाँ पकडने आए हैं।” “क्या तुम जानते हो कि तुम्हारे कारण शाही कार्य में कितनी बड़ी रुकावट आई है? मुझे यहाँ नदी की लहरों को गिनने के लिए रखा गया है। तुमने यहाँ आकर मुझे परेशान किया है और अब तक किए गए मेरे काम को नष्ट कर दिया है। तुम्हें इसके लिए सजा दी जाएगी।” “पर श्रीमान्, हम सब बहुत गरीब मछुआरे हैं।” “ठीक है, ठीक है, तुम्हें इसके लिए सौ स्वर्ण मुद्राएँ देनी होंगी।” ‘श्रीमान्, हम पर दया कीजिए। हमारे पास इतना धन नहीं है और.।”
“तुम मुझे 50 स्वर्ण मुद्राएँ दे सकते हो।” व्यक्ति ने कहा। तभी एक मछुआरा क्रोधित होकर बोला “यह 100 सौ के लिए कह रहा है, मैं इसे दूँगा,” ऐसा कहते हुए उसने अपना वेश उतार दिया। अब उसके सामने व्यक्ति के रूप में बादशाह अकबर खड़े थे। आदमी ने घबराकर अपने कदम पीछे की ओर कर लिए। “मैं तुम्हारी पीठ पर 100 कोड़े दूँगा।” बादशाह ने व्यक्ति से कहा। तब उन्होंने बीरबल से कहा “तुम सही थे, बीरबल। एक भ्रष्ट व्यक्ति रिश्वत लेने को रास्ते ढूँढ़ ही लेता है चाहे उसका काम कुछ भी हो।” दरबारी को पास कहने को लिए कुछ भी न था। भ्रष्ट व्यक्ति को 100 कोडे मारकर जेल में डाल दिया गया।
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