भगवान् विष्णु का भक्त | Bhagwan Vishnu ka Bhakt
भगवान् विष्णु का भक्त | Bhagwan Vishnu ka Bhakt : रान्ति देव–भगवान् विष्णु का भक्त एक दिन भगवान् इन्द्र, यमराज, ब्रह्मा जी तथा अन्य देवी–देवता भगवान् विष्णु के पास गए और बोले, “भगवान्, आपके विचार में आपका सबसे महान भक्त कौन हैं?” “रंतिदेव,” भगवान् विष्णु ने जवाब दिया.
“आपका मतलब वह राजा रान्तिदेव, जो अपना राज्य अपना राजसी जीवन, सभी कुछ त्याग कर, पिछले दिनों से व्रत रखकर आपके ही नाम का अनुसरण कर रहा है?” भगवान् ब्रह्मा ने पूछा। “हाँ वही, जिसका मैंने नाम लिया,” विष्णु ने जवाब दिया। “आज उसके व्रत का अन्तिम दिन है। चलो, उसकी परीक्षा लेते हैं। मैं जानता हूँकि एक भूखा व्यक्ति अपने भोजन को नहीं बाँटता। देखते हैं क्या वह अपना भोजन हमें देता है?” ऐसा विचार कर सभी देवता धरती पर पहुँचे। रान्तिदेव अपना व्रत खोलने से पहले ईश्वर की पूजा-आराधना में मग्न थे।
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भगवान् विष्णु का भक्त | Bhagwan Vishnu ka Bhakt : उसके सामने पानी तथा भोजन रखा था। पूजा समाप्त होने पर जैसे ही वह अपना व्रत खोलने लगे, तभी वहाँ एक ब्राह्मण पधारा और बोला “मैंने कई दिनों से कुछ नहीं खाया, कृपया मुझे कुछ खाने को दीजिए।” रान्तिदेव ने अपने भोजन का आधा भाग उसे दे दिया। ब्राह्मण ने उन्हें अनेक आशीर्वाद दिये और चले गए। उसके जाने के बाद रान्तिदेव ने जैसे ही बचा हुआ भोजन खाना चाहा, वहाँ एक भिखारी आया और बोला, “मैं बहुत भूखा हूँ, कृपया मुझे थोड़ा भोजन दे दीजिए।” रान्तिदेव ने पुन: अपने बचे भोजन में से थोड़ा भाग भिखारी को दे दिया। रान्तिदेव जैसे ही दोबारा बाकी भोजन खाने को हुए, तभी एक बंजारा उनके पास आया और बोला, “दयावान श्रीमानू, मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि मुझे तथा मेरे कुत्तों को खाने के लिए कुछ भोजन दीजिए.” रान्तिदेव मना न कर पाए और उन्होंने अपना सारा भोजन उसे दे दिया. दरअसल सभी देवता.
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भगवान् विष्णु का भक्त | Bhagwan Vishnu ka Bhakt : रंतिदेव ही भगवान् विष्णु का सबसे प्यारा व महान् भक्त है। वह अपनी परीक्षा में सफल रहा।”
परन्तु यमराज बोले, “आप सबके यह निर्णय देने से पहले मैं भी रान्तिदेव की परीक्षा लेना चाहता हूँ।” इस कार्य के लिए यमराज ने एक निर्धन व्यक्ति का रूप धारण किया और रान्तिदेव के पास पहुँचे। चूंकि रान्तिदेव के पास खाने के लिए कुछ भी न था, अत: वह पानी से ही अपना व्रत खोलने लगे। जैसे ही उन्होंने पीने के लिए पानी का गिलास उठाया। एक निर्धन व्यक्ति वहाँ पहुँचा और बोला, ” श्रीमान्, मैं बहुत प्यासा हूँ।
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भगवान् विष्णु का भक्त | Bhagwan Vishnu ka Bhakt : क्या मुझे थोड़ा पानी मिल सकता है।” रान्तिदेव बोले, “हाँ-हाँ आओ और ये पानी ले लो।” परन्तु निर्धन व्यक्ति बोला, “श्रीमान्, कृपया न ही मेरे पास आएँ और न ही मुझे छूऐं। मैं एक अछूत हूँ, यदि आप मुझे छूऐंगे तो आपको पाप लगेगा।” परन्तु रान्तिदेव, निर्धन व्यक्ति पर अपना हाथ रखते हुए बोले, “मुझे इन सब बातो पर विश्वास नहीं. मैं, मिलने वाले सभी लोगो में भगवान् विष्णु को देखता हूँ.मेरे लिए तुम अछूत नहीं हो। चलो, अब पानी पी लो।” निर्धन व्यक्ति ने पानी पिया। तभी भगवान् विष्णु सभी देवताओं के साथ रान्तिदेव के सामने प्रकट हुए और बोले, “रान्तिदेव, मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ। तुम सभी को एक समान समझते हो तथा सभी में मुझे ही देखते हो। तुम मोक्ष प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम प्राणी हो।”
रान्तिदेव ने श्रद्धापूर्वक झुककर प्रणाम किया क्योंकि उसे भगवान् विष्णु का आशीर्वाद तथा वरदान दोनों ही प्राप्त हो गये थे।
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