B. R. Ambedkar Essay in Hindi Language
B. R. Ambedkar Essay in Hindi Language : आज ये एक बड़ा मौका हैं की 125 साल बी.आर आंबेडकर जयंती की हो रही हैं और इसलिए ये मौका बड़ा हो जाता हैं तो उल्लास का मौका हैं. देशभर में होना चाहिए सिर्फ एक तपके में नहीं लेकिन जब राजनीति परिदृश्य में देखते हैं तो इस जयंती के हमे इस पर निराशा ज्यादा होती हैं ये ठीक हैं की public space में इस वक़्त आप दिल्ली में घूम रहे होंगे तो बहुत जगह पर आपको बी.आर आंबेडकर की तस्वीरे दिखेगी, होर्डिंग दिखेगी जहा पर किसी दुसरे किस्म के नायको की तस्वीरे होती थी, या दुसरे नेताओं की तस्वीरे होती थी वहां पर बी.आर आंबेडकर की तस्वीरे हैं.
B. R. Ambedkar Essay in Hindi Language : रेडियो के उनके बारे में चर्चा हो रही हैं, टीवी में उनके बारे में चर्चा हो रही हैं लेकिन कुलमिला कर बी.आर आंबेडकर के बारे में चर्चा हो ही जाती थी हमेशा लेकिन निराशा इसलिए हैं की जब बी.आर आंबेडकर दलितों की बात कर रहे थे तब उनके आस पास कोई बड़ा दलित नेता नहीं था सक्रीय दलित नेता. आज जब सब आंबेडकर की बात कर रहे हैं तो आज कोई दलित नेता नहीं हैं इस देश में. दलित सांसद हैं, बहुत तरह के सांसद हैं, हर party में सांसद हैं. उनकी संख्या निश्चित हैं उससे निश्चित संख्या से कभी ज्यादा दलित सांसद नहीं हुवे कभी अपवाद स्वरुप हुवे हो तो हम माफ़ी मांगते हैं. बहुत सारे दलित विधायक हैं उन सबकी आवाज़ मुझे कही नज़र नहीं आते हैं तो क्या अगर आज आंबेडकर होते तो किस चीज़ पर खुश होते? की उनके जन्मदिन पर चारो तरफ केक कट रहा हैं इस बात पर?
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B. R. Ambedkar Essay in Hindi Language : इसलिए 125वी जयंती जो हैं वो आंबेडकर के लिए बड़ी चुनौती हैं की आंबेडकर आंबेडकर के लिए रह पाएंगे या सब अपना अपना हिस्सा उस मूर्ति से उठा कर जाएगा फिर अलग एक मूर्ति बनाएगा और कहेगा की आंबेडकर के लिए हमने ये किया. हमने यह मकान बनाया हैं, हमने स्मारक बनाया हैं, हमने ये किया हैं, हमने वो किया हैं. लेकिन जो समाज के हालात हैं वो तो सब कुछ बदले नहीं हैं लेकिन अभी भी जिन के हाथ में ताकत हैं. वो जाति के सवाल को लेकर बिलकुल नहीं बदले हैं. नहीं तो इतनी हिंसा इतनी नफरत आखिर कैसे बची रह गयी हैं? मैं यही समझना चाहता हूँ की अगर आज आंबेडकर को हर कोई अपना रहा हैं, हर कोई जश्न मना रहा हैं. तो क्या आज ही मुझे कोई बता सकता हैं की वो सारी चीज़े गायब हो गई हैं. जिनके खिलाफ कोई आंबेडकर बनता हैं, जिनके खिलाफ कोई आंबेडकर पैदा होता हैं. बिलकुल नहीं तो फिर हम किस लिए जश्न मना रहे हैं. हमे तो कायदे से उनके जन्मदिन पर किसी एक बड़े सभा स्थल में जाना चाहिए, सभी पार्टियों को और सभी लोगो को सर झुका कर जाना चाहिए की हम आज आपका जन्मदिन मनाने आएं हैं लेकिन सही में हम उस जात पात को नहीं तोड़ पाए.
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B. R. Ambedkar Essay in Hindi Language : और इस तरह की नौटंकी बंद कीजिये की किसी के घर जा कर खा लिए तो उससे जात पात दूर हो गया. या किसी को घर बुला के खिला लिए तब. बहुत सारे प्रतिको से बचना चाहिए इन सब चीजों से, इससे हमे कुछ हासिल होने वाला नहीं हैं. अभी भी हमारा समाज मूलत: एक जाति वादी समाज हैं और उसके अंदर इतनी हिंसा भरी हुई हैं की आप कही कोई आप को कही जाने की जरुररत नहीं हैं. आप बस खड़े रहिये. ऐसी खबरे आप तक चल कर पहुँच जाती हैं इसलिए लोगो को देखना होगा कि ये हम जिस व्यक्ति की जयंती मना रहे हैं. क्या हम उसके उत्तराधिकारी हैं? कौन मना रहा हैं? जो मना रहा हैं? क्या उसने आंबेडकर के सिद्धांतो पर चला हैं? कभी उसने अपनी party के भीतर या दूसरी party में हो रहे ऐसे जातिगत अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाई हैं या फिर चूँकि वो उनका प्रसार हैं वो ऐसे नायक के रूप में बचे हुवे हैं आज़ादी के दौर से जिनकी मूर्तियाँ लोगो के घर में मिल जाती हैं, जिनकी तस्वीरे लोगो के घर के दरवाज़े पर मिल जाती हैं. अब नेताओं के नज़र अब ये हैं की ये एक सोने की खान हैं जो हर किसी के घर में मिल जाती हैं तो क्यूँ
ना अब एक बड़ा सा पोस्टर लगा कर आंबेडकर भक्त बना जाए.
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B. R. Ambedkar Essay in Hindi Language : आज हम क्यूँ सुनते हैं जब हम 125वी जयंती मना रहे हैं की एक लड़की की हत्या सिर्फ उसके दलित होने की वजह से कर दी जाती हैं, हम क्यूँ सुनते हैं की कोई लड़का ये लिख कर मरता हैं की मेरा पैदा होना ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना हैं तो उसे आज भी ऐसा क्यूँ लिखना पड़ रहा हैं. क्यूँ आपको सैकड़ो ऐसे उदहारण मिलते हैं की दुल्हा जा रहा हैं घोड़े पर और उसे helmet लगा कर जाना चाहिए. अभी मध्य प्रदेश की घटना थी, राजस्थान से घटना आ जाती हैं, बिहार से घटना आ जाती हैं की लोग जाते हैं ख़ास उच्च जाति के लोग दलितों का घर जला जाते हैं. दुश्मनी में कोई किसी का घर जलाए मुझे तो वो बात तब भी समझ में नहीं आती हैं और व्यवस्था होने के बावजूद किसी की हिम्मत कैसे होती हैं? लेकिन ये शर्म की बात हैं की जाति की वजह से वो ये मान लेता हैं की वो हमसे कमज़ोर हैं और हम घोड़ी पर चलते हुवे दुल्हे को उतार सकते हैं, उसके घर को जला सकते हैं.
B. R. Ambedkar Essay in Hindi Language : लेकिन उससे भी बड़ा सवाल हैं की जिन शोषित और पिछडो की सामाजिक और आर्थिक आज़ादी की बात बाबा साहेब करते थे वो आज कहाँ हैं? एक ऐसा नायक हैं हमारे मौजूदा राजनीति में जो नहीं होने के बावजूद, अपनी दुनिया में नहीं होने के बावजूद अपनी मूर्तियों से, अपने नीले कोट से एक बहुत बड़े तपके के दिलो को छू जाता हैं इसलिए सब जा कर उस मूर्तियो की पूजा करने लगे हैं, जो मूर्ति पूजा का विरोधी व्यक्ति हैं. उसे लोग मूर्तियों में बदल रहे हैं की हम बहुत बड़े भक्त हैं आंबेडकर के. तो party दफ्तर से बाहर, party के तमाम पोस्टरों में आपको आंबेडकर नज़र आ जाएंगे आसानी से. सच सच सोचिये क्या किसी मुख्यालय के भीतर आंबेडकर नज़र आते हैं? तो अगर नज़र आते हैं तो 125वी जयंती पर ही क्यूँ? वो साल भर, पिछले दस साल से, 20 साल से, आने वाले 50 साल में क्यूँ नहीं नज़र आते? तो जितनी मेहनत आपने उनकी ये खुबसूरत मूर्ति बनाने में की हैं. इतनी मेहनत आपने एक बहुत बेहतरीन तस्वीर बनाने में की हैं. क्या उतनी मेहनत आपने उनके विचारों पर चलने के लिए की हैं? कौन हैं ऐसा नेता जो दलित नहीं हैं? जो खड़ा होकर बोले की ये हिन्दुव की अपनी एक समस्याए हैं.
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B. R. Ambedkar Essay in Hindi Language : हिन्दू धर्म की इन बुराइयों की वजह से हमे ये शर्म करनी चाहिए की समाज के इतने बड़े तपके को हाशिये पर रहना पड़ता हैं. कौन हैं ऐसा नेता हम तो नहीं जानते? न ही हमने किसी को ये कथन कहते सुना हैं! पर ये सुनने में आ जाता हैं की एक OBC या अति OBC को अध्यक्ष बना दिया गया हैं, ब्राह्मण मुख्यमंत्री होगा. यही सुनते हैं की ब्रह्मण मुख्यमंत्री बना दिया गया हैं लेकिन एक अति OBC अध्यक्ष होगा तो इस तरह की बाते हो रही हैं तो जातिवाद को तोड़ने की बात कौन कर रहा हैं. सहमति के स्तर पर तो कोई विरोध नहीं करता सब कहते हैं की हांजी ये सहमत हैं.
B. R. Ambedkar Essay in Hindi Language : क्या कोई प्रयास कर रहा हैं? क्या लोगो ने अपने विवेक को स्थगित कर दिया हैं? तख्ती पर रख दिया हैं? क्या उन्हें दिखाई नहीं दे रहा हैं? क्या सचमुच उन्हें दिन में torch लगा कर दिखाने की जरुरत हैं? कौन हैं जो बात कर सकता हैं की आंबेडकर के उत्तराधिकारी के रूप में. हमे कोई ऐसा राजनैतिक दल नज़र नहीं आता हैं. अब सबके पास विज्ञापनों का पैसा हैं तो बना ले अगर विज्ञापनों से आंबेडकर सबके हो सकते हैं तो कर लीजिये फिर. वो तो हैं नहीं मना करने के लिए की मैं तुम्हारा नहीं हूँ. हर राजनीति का काम आंबेडकर के खिलाफ होता हैं. क्यूंकि लोग आंबेडकर से डरते हैं ये हमने देखा हैं की हमारे नेता चाहे किसी भी दल के हो उन्हें डर लगता हैं तो इसी एक नेता से डर लगता हैं की उनके बारे में बात करते समय, उनके बारे में कुछ कहते समय वो डरते जरुर हैं. वो डर का कारण यही हैं की अभी भी आंबेडकर की प्रतिमा उनकी तस्वीरे लाखो करोडो घरो में हैं. सिर्फ बाहर में मैदान में नहीं हैं, park में नहीं हैं. घरो में हैं तो उनको डर लगता हैं की कही कुछ मामला गड़बड़ ना हो जाए लेकिन क्या वो यकीं के साथ ऐसा कह रहे हैं? हमे नहीं लगता. एक मौका हैं इसलिए कह रहे हैं. अभी तो चार दिन पहले वो किसी और नायक का मना रहे थे फिर चार दिन बाद किसी और नायक का जन्मदिन मनाएंगे. तो एक तरह से ये चल रहा हैं. देश में दौर चल रहा हैं नायको के जन्मदिन का.
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B. R. Ambedkar Essay in Hindi Language : ये नहीं भी मनाते तब भी लाखो लोग बाबा साहेब का जन्मदिन मना ही लेते, उनकी जयंती तो मना ही लेते. तब कहाँ थे ये बड़े बड़े राजनीतिक दल जब लोग रातो को 14 अप्रैल की मध्य रात्री को 12 बजते हैं तो अपनी छतो पर मोमबतियां जलाते थे, गाँव गाँव में लाखो कार्यकर्म होता था तब ये कहाँ थे सारे राजनैतिक दल वाले. आज ही क्यूँ नज़र आ रहे हैं. ये तो सोचना पड़ेगा ना की हम किसकी जयंती मना रहे हैं? हम आंबेडकर जयंती मना रहे हैं. आंबेडकर जी के लिए मना रहे हैं या अलग अलग राजनीतिक दल इसलिए मना रहे हैं की इनका जन्मदिन मनाने से हमे फायदा होगा. आज किस party के दलित नेता को दलित नेता के रूप में जानते हैं. आप हमे बताइए. दलित संसद हमेशा समाज कल्याण मंत्री क्यूँ बनता हैं? वो रक्षा मंत्री क्यूँ नहीं बनता, वो वित्त मंत्री क्यूँ नहीं बनता हैं, वो विदेश मंत्री क्यूँ नहीं बनता हैं. वो कानून मंत्री क्यूँ नहीं बनता हैं? मैंने तो कोई अध्यनन नहीं किया लेकिन आप अध्यनन कीजिये जितने भी दलित सांसद हैं उन में से कोई law नहीं पढ़ा होगा? कोई अर्थशास्त्र नहीं पढ़ा होगा?
B. R. Ambedkar Essay in Hindi Language : क्या अगर वो किसी दलित सांसद को समाज कल्याण मंत्री बनाने के लिए वो मंत्रालय रखा हुआ हैं तो सबसे पहले किसी भी सरकार को उस मंत्रालय को भंग कर देना चाहिए. कि हम क्यूँ रखेंगे उसको? की जहाँ दलित प्रतिमा किसी भी party में हो सकती हैं वो क्या जा कर वही पहुंचेगी, वही उसका अंत हो जाएगा या फिर चुनाव से पहले उसे प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा. जब चुनाव 6 महीना रह जाते हैं, 1 महीना रह जाते हैं तब लोगो को याद आती हैं तब आप उसको बना रहे हैं तो सीधी सी बात हैं की आप उसके जात पात का exchange programme चल रहा हैं न की ये हमारा जात पात ये आपका जात पात दे दो यार! कुछ मिल के हम vote bank बन जाते हैं, कुछ मिल कर तुम vote bank बन जाओ.
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B. R. Ambedkar Essay in Hindi Language : कितने लोगो को उस बातो को प्रसारित करने के लिए किया जा रहा हैं. राजनीतिक नेतृत्व कहाँ हैं? राजनैतिक कार्यकर्म क्यूँ नहीं हैं आंबेडकर जयंती पर. आंबेडकर जयंती राजनीति का क्यूँ नहीं हैं. मेरा मतलब ये हैं की कौन नेता ऐसा नज़र आ रहा हैं जो जातिवादी हिंसा के खिलाफ खड़ा हो कर बोलता हो, कौन हैं जो सामने जा कर सामना करना चाहता हो, कौन ऐसा नेता हैं जो जाकर अपने गाँव देहात में खड़ा हो कर कहना चाहता हो की इन दीवारों की गिराइए – तोडिये. ये चीजों हो नहीं रही हैं तो ठीक हैं. निराशा तो होती ही हैं की राजनीतिक संस्कृति के रूप में आज मुझे आंबेडकर नज़र नहीं आते? सांस्कृतिक रूप में भी नहीं. बस एक मूर्ति के रूप में उनको भगवान बना रखा हैं जो की खुद मूर्ति पूजन के खिलाफ थे. आखिर कहाँ जा रहा हैं हमारा देश. अगर आज के दिन पर कुछ करना ही चाहते हो तो आंबेडकर के सिद्धांतो पर चलो