अतिथि देवो भव की कथा | Atiti Devo Bhav Ki Katha

अतिथि देवो भव की कथा | Atiti Devo Bhav Ki Katha : किसी वन में एक लोभी और निर्दयी बहेलिया निवास करता था। पक्षियों को मारकर खाना ही उसका काम था। इस भयंकर कार्य के कारण उसके प्रियजनों ने भी उसका त्याग कर दिया था। तबसे वह अकेला ही हाथ में लाठी और जाल लेकर जंगलों में पक्षियों के शिकार के लिए घूमा करता था।

इस प्रकार वन में घूमते हुए एक दिन उसके हाथ एक कबूतरी लग गई। उसने उसको अपने पिंजरे में बंद कर लिया। जब वह अन्य पक्षियों को पकड़ने के उद्देश्य से जंगल में विचरण कर रहा था, तभी भंयकर आंधी – तूफान आ गया। सुरक्षित स्थान की खोज में वह बहेलिया एक वृक्ष के नीचे आकर खड़ा हो गया। जब आंधी – तूफान बंद हुआ तो उस समय पर्यात रात बीत गई थी। बहेलिया भूख – प्यास से व्याकुल हो रहा था। उसे डर भी लग रहा था कि कहीं कोई हिंसक पशु उसे अपना आहार न बना ले। जिस वृक्ष के नीचे वह खड़ा था, उसी की मोटी जड़ में उसे एक बड़ा – सा खोखल दिखाई दिया।

Also Check : Teachers Day Speech for Students 

अतिथि देवो भव की कथा | Atiti Devo Bhav Ki Katha : वह यह प्रार्थना करते हुए कि ‘इस वृक्ष पर जो भी निवास करते हों, मैं उनकी शरण में आया हूं, वह मेरी रक्षा करें।’ उसी खोखल में घुसकर बैठ गया। उस खोखल में वही कबूतर रहता था जिसकी पत्नी को बहेलिए ने पकड़ लिया था। कबूतर उस समय अपनी पत्नी के वियोग में विलाप कर रहा था। कबूतरी ने उस स्थान को पहचान तो लिया था, किंतु वह विवश थी। अपने पति के विलाप को सुनकर उसे एक प्रकार से मानसिक संतोष पहुंचा। वह अपने पति से बोली – ‘हे स्वामी ! मैं तुम्हारे पास ही हूं। इस बहेलिए ने मुझे पिंजरे में कैद कर लिया है। और अब यही बहेलिया आपका शरणागत बनकर आपके घर आया है। यह भूखा-प्यासा है। ठंड के कारण इसके दांत बज रहे हैं। इस समय आपका कर्तव्य बनता है कि आप इसका स्वागत – सत्कार करें।

Also Check : Top Personality Development Tips Hindi Language

अतिथि देवो भव की कथा | Atiti Devo Bhav Ki Katha : सूर्यास्त के समय घर आए अतिथि को भोजन कराने से गृहस्थ को महान पुण्य प्राप्त होता है।’ अपनी पत्नी की बात सुनकर कबूतर नीचे उतरकर बहेलिए के समीप पहुंचा और बोला – ‘भद्र ! आपका स्वागत है। कहिए, मैं क्या सेवा करूं आपकी ?’ बहेलिया बोला – ‘मैं ठंड से मरा जा रहा हूं। किसी प्रकार मेरी ठंड दूर कर दो।’ कबूतर उसी समय गया और कहीं से आग का एक अंगारा ले आया। फिर उसने कुछ सूखे पते व सूखी लकड़ियां बीनीं और आग जला दी। उसने अपने अतिथि बहेलिये से कहा – ‘लीजिए, अग्नि तैयार है। इससे आप अपनी ठंडक दूर कर लीजिए। मेरे घर में खाने के लिए कुछ भी नहीं है। इसलिए आपकी भूख मिटाने के लिए मैं स्वयं अपना शरीर प्रस्तुत करता हूं।’ यह कहकर वह कबूतर अग्नि में कूद पड़ा। अपने शरीर का बलिदान देकर भी उसने शरणागत के लिए आतिथ्य धर्म का निर्वाह किया। बहेलिए ने जब उस कबूतर का अद्भुत बलिदान देखा तो वह आश्चर्य में डूब गया। उसकी आत्मा उसे धिक्कारने लगी।

Also Check : Diwali Ki Kahani 

अतिथि देवो भव की कथा | Atiti Devo Bhav Ki Katha : उसी क्षण उसने कबूतरी को आजाद कर दिया और पक्षियों को फंसाने का जाल व अन्य उपकरण तोड़कर फेंक दिए। कबूतरी अपने पति को आग में जलता देखकर विलाप करने लगी। उसने सोचा – ‘अपने पति के बिना अब जीवन का प्रयोजन ही क्या है। मेरा संसार उजड़ गया, अब किसके लिए प्राण धारण करूं?’ यह सोचकर वह पतिव्रता स्वयं भी अग्नि में कूद पड़ी। उन दोनों का बलिदान देखकर देवताओं ने उन पर पुष्प वर्षा की। बहेलिए ने भी उसी दिन से जीव – हत्या करनी छोड़ दी, और वैरागी का जीवन व्यतीत करने लगा। क्रूराक्ष के मुख से यह कथा सुनकर उल्लूराज ने अपने तीसरे मंत्री दीप्तांक्ष से पूछा तो उसने भी क्रूराक्ष की बात का समर्थन किया। उसने सिर्फ इतना और जोड़ा कि स्थिरजीवी का वध नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि कभी – कभी कोई अहितकारी व्यक्ति भी अनायास ही अपना हितकारी हो जाता है। तब उल्लूराज अरिमर्दन ने अपने चौथे मंत्री वक्रनाल से पूछा। इस पर वक्रनाल ने उत्तर दिया-‘देव ! मैं भी दीप्तांक्ष की इस राय से सहमत हूं कि कभी – कभी शत्रु भी हितकारी हो जाया करता है। यहां मुझे याद आ रहा है किस प्रकार एक ब्राह्मण का अहित करने आए हुए शत्रुओं ने परस्पर कलह करके उस पर बड़ा उपकार कर डाला था। ब्राह्मण के घर चोरी करने आए एक चोर ने उसके प्राण बचा लिए थे और राक्षस ने उसके दोनों बैलों को बचा लिया था। “उल्लूराज ने पूछा-‘वह कैसे ?’ वक्रनाल ने तब उसे यह कथा सुनाई।

Also Check : Mahashivratri Kyun Mnaayi Jaati Hain

Share
Published by
Hind Patrika

Recent Posts

Go2win रिव्यु गाइड, बोनस और डिटेल्स | 2024 | Hind Patrika

Go2Win - भारतीय दर्शकों के लिए स्पोर्ट्सबुक और कैसीनो का नया विकल्प आज के दौर…

3 months ago

Ole777 रिव्यु गाइड, बोनस और डिटेल्स | 2023

Ole777 समीक्षा  Ole777 एक क्रिप्टो वेबसाइट  (crypto gambling website) है जिसे 2009 में लॉन्च किया…

2 years ago

मोटापा कैसे कम करें- 6 आसान तरीके – 6 Simple Ways for Weight Loss

मोटापे से छुटकारा किसे नहीं चाहिए? हर कोई अपने पेट की चर्बी से छुटकारा पाना…

2 years ago

दशहरा पर निबंध | Dussehra in Hindi | Essay On Dussehra in Hindi

दशहरा पर निबंध | Essay On Dussehra in Hindi Essay On Dussehra in Hindi : हमारे…

3 years ago

दिवाली पर निबंध | Deepawali in Hindi | Hindi Essay On Diwali

दिवाली पर निबंध  Hindi Essay On Diwali Diwali Essay in Hindi : हमारा समाज तयोहारों…

3 years ago

VBET 10 रिव्यु गाइड, बोनस और डिटेल्स | जनवरी 2022 | Hind Patrika

VBET एक ऑनलाइन कैसीनो और बैटिंग वेबसाइट है। यह वेबसाइट हाल में ही भारत में लांच…

3 years ago