शाही शिकार | Akbar Birbal Stories in Hindi
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Akbar Birbal Stories in Hindi : एक बार कुछ गरीब गाँव वाले मिलकर बीरबल के पास गए। उन्होंने अपनी समस्या उसे बताई “श्रीमान्, हमारे गाँव को रेगिस्तान होने से बचाने के लिए कुछ कीजिए।” “मित्रों, तुम्हारे गाँव के साथ क्या गलत हो रहा है?” बीरबल ने पूछा। “श्रीमान्! बादशाह अकबर अपने राज्य में अधिक-से-अधिक जंगल चाहते हैं इसलिए उन्होंने अपने सेवकों को आदेश दिया है कि जितनी जमीन पर गाँव बसे हुए हैं, उतनी जमीन को जंगल में परिवर्तित कर दो। अधिक जंगलों का अर्थ है अधिक जानवर, जो राजा के शिकार के शौक को पूरा करेंगे।” एक बुजुर्ग ने बीरबल को बताया। “मित्रों! तुम्हारी समस्या को सुलझाने का मैं अपनी तरफ से पूरा प्रयत्न करूंगा। आप लोग निश्चित होकर अपने घर जाइए।” बीरबल ने कहा। अगली बार जब बादशाह अकबर शिकार के लिए गए, तो बीरबल उनके साथ था। वह एक वृक्ष के समीप से गुजरे जहाँ कुछ उल्लू जोर-जोर से आवाजों निकाल रहे थे। एक दरबारी, बीरबल को चिढ़ाते हुए बोला “श्रीमान्, आप तो ज्ञानी व्यक्ति हैं।
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मुझे पूरा विश्वास है कि आप बता सकते हैं कि उल्लू आपस में क्यों झगड़ रहे हैं?” “हाँ, क्यों नहीं? परंतु, महाराज! उनके झगड़ने का कारण सुनकर आप प्रसन्न नहीं होंगे।” बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा। इस पर बादशाह बोले “क्यों, बीरबल? पक्षियों की आपसी बातचीत से मुझे कुछ बुरा नहीं लगेगा।” बीरबल बोला “महाराज, हमारे पड़ोसी राज्य के एक नर उल्लू ने हमारे राज्य की मादा उल्लू से विवाह किया। नर उल्लू के रिश्तेदार यहाँ दहेज के विषय में चर्चा करने आए हैं और दहेज के रूप में कम-से-कम चालीस जंगलों की माँग कर रहे हैं। परंतु मादा उल्लू का पिता इस माँग को अभी पूरा नहीं करना चाहता। उसने सुना है कि बादशाह अकबर ने कई गाँवों को जगलों में परिवर्तित करने का आदेश दे रखा है ताकि शिकार के लिए अधिक-से-अधिक स्थान मिल जाए। जल्द ही जगलों की संख्या बढ़ जाएगी और तब सभी दहेज में दे दिए जायेंगे।” बादशाह अकबर को अपनी गलती का एहसास हुआ। वे बोले “बीरबल, मैं कितना स्वार्थी हूँ, जो अपने शौक के लिए गाँवों को नष्ट कर रहा हूँ। मेरा कर्तव्य तो यह है कि मैं बेघर लोगों के लिए घर की व्यवस्था करके जन-हितकारी कार्य करूं। पर मैं तो बसे-बसाए गाँवों को भी नष्ट करवाकर लोगों की बेघर कर रहा था। मैं अपने सेवकों को आज्ञा देता हूँ कि गाँवों को खाली कराना बंद कर दें।” इस प्रकार बीरबल ने सहायता मांगने वालों के साथ पूरा न्याय किया।
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