Nirma Success Story of Karasanbhai Patel
अपनी बेटी निरुपमा की death के बाद करसनभाई पटेल उसी के घर पर बुलाये जाने वाले नाम निरमा से निरमा वाशिंग पाउडर बनाने की शुरुवात करी. उन्होंने अपनी BSC Chemistry के दम पर अपने घर के Backyard में ही ये washing powder तैयार करना शुरू कर दिया था.
वो रोज़ साइकिल पर office जाते समय निरमा को door to door sell करते हुवे निकलते और office खत्म होते ही दोबारा इसे ऐसे ही बेचते हुवे वापस आते. करसनभाई ने इसे तीन सालो तक इसे ऐसे ही बेचा और इन तीन सालो में इन्हें काफी time मिल गया अपना consumer base बनाने का और साथ ही साथ खुद को और अपने product को improve करते जाने का. 1969 में जहाँ hindustan uniliver का surf 13 रुपये में बिक रहा था वही दूसरी तरफ वो निरमा को सिर्फ 3.5 रुपये में बेच कर middle class को खुश कर रहे थे
फिर 1972 में उन्होंने अपनी job छोड़ कर अहमदाबाद के एक छोटे से इलाके में दूकान खोल ली और यही से उनके product ने local लोगो में तेज़ी पकडनी शुरू कर दी. जैसे जैसे उनका काम बढ़ता चला गया वो salesman और workers को hire करते चले गए.
और इस तरह से कुछ ही सालो में गुजरात ने बहुत जल्द अपनी पकड़ ली. और जब उन्होंने इस काम को गुजरात कके बाहर करने की सोची तो उन्हें इसके बाहर काफी निराशा का सामना करना पड़ा क्युकी वहां retailers उनसे credit पर माल उठाते थे और जब कई महीनो बाद payment collect करने आता तो या तो retailer उसे भागा देता या फिर अगले महीने पर ताल देता उस समय market में बड़े बड़े multinational brands के बीच nirma survive भी नहीं कर पा रही थी और धीरे धीरे उसका sales graph भी गिरने लगा था.
Nirma Success Story of Karasanbhai Patel : ये देख के करसनभाई ने सभी employees की imdiate meeting बुलवाई और सबको strict orders दे दिए की जो payment करता हैं करे नहीं तो market से अपना सारा माल उठवाओ और आगे की supply भी रोक दो. रातो रात market से निरमा के गायब हो जाने के बाद सभी retailers और competitors को थोडा झटका लगा but करसनभाई के दिमाग में एक अलग ही game चल रही थी
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उस समय हमारा देश बहुत तेज़ी से बदल रहा था और लोगो के घर में टीवी भी बहुत तेज़ी से बढ़ते जा रहे थे तो जैसे ही उनका stalk market से आया उन्होंने अपना सारा पैसा दूरदर्शन पर ad पर ad चलवाने पर लगा दिया ”नीमा, रेखा, जया और सुषमा सबकी पसंद निरमा – washing powder निरमा – निरमा”. इस ad ने market में इतना बड़ा impact छोड़ा की अब हर किसी को निरमा ही चाहिए था. लोग रोज़ दुकानों पर निरमा लेने पहुच जाते लेकिन निरमा मिलता ही नहीं था. दूकान वाले भी इतने दुखी हो गए की एक तो निरमा वाले supply नहीं दे रहे और लोगो की demand बढती ही जा रही हैं.
फिर दोबारा से करसनभाई ने अपने employees की meeting बुलवाई और सबके हाथो में terms and conditions की paper पकडवा दिया जिसमे लिखा हुआ था की अबसे निरमा कोई भी माल credit पर नहीं देंगे cash on delievery of the Powder is must. इस एक decision ने रातो रात उनके brand की image बदल दी और उन्हें उस वक़्त के top business players की line में जोड़ दिया.
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Nirma Success Story of Karasanbhai Patel : और आज निरमा 15,000 employees तक की job provide करवाती हैं. बस अंत में हम ये कहना चाहेंगे की दुनिया की चका चौंध में हमे एक कामयाब इंसान का संघर्ष नहीं दिखता उनके महंगे कपड़ो के नीचे धुप में तपा शरीर नहीं दिखता. ऐसे मेहनती लोगो से हम सभी को सीख लेनी चाहिए.
Good success story, but it is in too brief..
धन्यवाद मुकेश! आपकी प्रतिक्रिया के लिए. हम बहुत जल्द ही अपने इस लेख में और विस्तार करेंगे 🙂
doing hardwork and big achived
Right Sumit sain 🙂