कुष्ठ रोगियों का मदर के खिलाफ विद्रोह : कुष्ठ रोगियों में से जो रोगी ठीक हो जाते थे, मदर उनके लिए हथकरघा मंगातीं और उन्हें हथकरघा चलाना सिखाकर स्वावलंबी बनातीं । इससे जो आय होती, उसे वे सभी रोगियों में बराबर बांट देती थीं। लेकिन रोगियों की जरूरतें दिन-प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही थीं। वे मदर से रोज ही तरह-तरह की मांग करने लगे थे। मांग पूरी न होने पर वे मदर के खिलाफ आवाज उठाने लगे। उन्होंने अपना एक नेता भी चुन लिया, जिसके नेतृत्व में वे अस्पताल की सिस्टर्स का घेराव करने लगे। | यह सूचना जब मदर के पास पहुंची तो वे वहां आईं। रोगियों का विरोध देखकर उन्हें बहुत दुख हुआ। उन्होंने दुखी मन से उन्हें फटकारते हुए कहा, “यह होम आप लोगों को अच्छा जीवन देने के लिए ही बनाया गया है। यदि आप लोग इस होम के नियमों का पालन नहीं कर सकते तो यहां से चले जाएं। हमें अशिष्ट लोगों की यहां जरूरत नहीं है। यहां रहने और खाने तथा इलाज के लिए आपसे कोई पैसा नहीं लिया जाता है। यह होम सेवा भाव से चलाया जाता है। इसलिए आपको व्यर्थ की मांगें रखने का कोई हक नहीं है।”
मदर की फटकार सुनकर सभी रोगियों ने अपने सिर झुका लिए।वे होम छोड़कर नहीं गए।